ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग - 12 ज्योतिलिंग में से एक


बारह ज्योतिर्लिंग में से चौथा ज्योतिर्लिंग ओम्कारेश्वर कहलाता ह। ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर कई कथाएं सुनने को मिलती हैं पर शास्त्रों में वर्णन है कि ओमकारेश्वर मांधाता द्वीप पर स्थित है मांधाता द्वीप का नाम इसी द्वीप के राजा के नाम पर है। मांधाता द्वीप के राजा मांधाता ने यहां पर्वत पर कई वर्षों तक घोर तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए।

 

राजा ने भगवान शिव से यहीं इसी पर्वत पर निवास करने का अनुरोध किया। भगवान शिव राजा की तपस्या से प्रसन्न होकर राजा की मांग के अनुसार भगवान शिव के 1 ज्योतिर्लिंग के रूप में वहां पर स्थित हुए जिनका हम आज भी दर्शन करते हैं। राजा ने यह तपस्या अपने राज्य के सभी लोगों के लिए करी थी जिससे कभी किसी पर संकट ना आए और सब को मोक्ष की प्राप्ति हो इसीलिए ही राजा ने भगवान शिव को यहां विराजमान होने का अनुरोध किया था।

 

उसी के बाद से यहां पहाड़ी पर ओमकारेश्वर तीर्थ स्थित है कहा जाता है यह तीर्थ ओम के आकार में बना हुआ है ॐ शब्द का उच्चारण सर्वप्रथम सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ है और वेदों का पाठ भी ॐ उच्चारण बिना नहीं होता। ॐ के आकर के करम इस तीर्थ का नाम ओमकारेश्वर है। आस्था है कि इस तीर्थ की अगर कोई परिक्रमा लगाता है उसे मोक्ष की प्राप्ति अवश्य होती है। ओम्कारेश्वर मंदिर नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। कहा जाता है की यहाँ पर पाया जाने वाला हर कंकर शंकर होता ह। इसीलिए यहाँ के कंकर को भी शिवलिंग के सामान मन जाता ह। यहाँ पाए जाने वाले शिवलिंग को नर्मदेश्वर शिवलिंग भी कहा जाता है।