सनातन धर्म में पौधारोपण का महत्व


प्रकृति का संरक्षण एवं संवर्धन ईश्वर की श्रेष्ठ आराधना है। एक पेड़ लगाना, सौ गायों का दान देने के समान है l पीपल का पेड़ लगाने से व्यक्ति को सेंकड़ों यज्ञ करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है l

 छान्दोग्यउपनिषद् में उद्दालक ऋषि अपने पुत्र श्वेतकेतु से आत्मा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि वृक्ष जीवात्मा से ओतप्रोत होते हैं और मनुष्यों की भाँति सुख-दु:ख की अनुभूति करते हैं। हिन्दू दर्शन में "एक वृक्ष की मनुष्य के दस पुत्रों से तुलना" की गई है-

 

'दशकूप समावापी: दशवापी समोहृद:।

दशहृद सम:पुत्रो दशपत्र समोद्रुम:।। '

 

भावार्थ - १० कुॅंओं के बराबर एक बावड़ी, १० बावड़ियों के बराबर एक तालाब,१० तालाब के बराबर 1 पुत्र एवं १० पुत्रों के बराबर एक वृक्ष है।

 

इस्लामी शिक्षा में पेड़ लगाने और वातावरण को हराभरा रखने पर जोर दिया गया है। पेड़ लगाने को सदका अथवा पुण्य का काम कहा गया है। पेड़ को पानी देना किसी मोमिन को पानी पिलाने के समान बताया गया है।

 

जीवन में लगाये गये वृक्ष अगले जन्म में संतान के रूप में प्राप्त होते हैं। (विष्णु धर्मसूत्र १९/४)

जो व्यक्ति पीपल अथवा नीम अथवा बरगद का एक, चिंचिड़ी (इमली) के १०, कपित्थ अथवा बिल्व अथवा ऑंवले के तीन और आम के पांच पेड़ लगाता है। वह सब पापों से मुक्त हो जाता है। ( भविष्य पुराण)

 

पौधारोपण करने वाले व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

शास्त्रों के अनुसार पीपल का पेड़ लगाने से संतान लाभ होता है।

अशोक वृक्ष लगाने से शोक नहीं होता है।

पाकड़ का वृक्ष लगाने से उत्तम ज्ञान प्राप्त होता है।

बिल्वपत्र का वृक्ष लगाने से व्यक्ति दीर्घायु होता है।

वट वृक्ष लगाने से मोक्ष मिलता है।

आम वृक्ष लगाने से कामना सिद्ध होती है।

कदम्ब का वृक्षारोपण करने से विपुल लक्ष्मी की प्राप्त होती है।