सदना कसाई की कहानी - भक्त सदना पर शालिग्राम भगवान की कृपा


सदना बहुत ईमानदार व् सज्जन आदमी था। श्रद्धा से भगवत नाम का स्मरण करते रहते थे पेशे से यह एक कसाई थे मांस बेचा करते थे पर वह मांस काटते समय पर भगवत नाम लेते। एक दिन सदना कहीं पर जा रहे थे अचानक उनके पैर से एक पत्थर टकराया उन्होंने उस पत्थर को उठाया और देखा वह पत्थर काले रंग का और बहुत आकर्षक था उन्होंने अपनी जेब में रख लिया सोचा यह मांस तोलने के काम में आएगा सदना वह पत्थर उठाकर अपनी दुकान पर ले गए और मांस तोलने लगे। सदना जितना बोलते वह पत्थर उतना ही बड़ा हो जाता चाहे 1 किलो, 2 किलो, 3 किलो जितना भी तोलना हो वह पत्थर उतना ही बड़ा हो जाता। यह बात धीरे धीरे सबको पता चलने लगी। एक दिन यह बात एक पंडित को पता चल गई इस बात को सुनकर पंडित आकर्षित हुआ और दूर से खड़े होकर देखने लगा जब सदना की दुकान से भीड़ हट गई तो वह दुकान के अंदर गया।

पंडित को देख सदना बड़ा खुश हुआ क्योंकि सदना भले ही एक कसाई था पर उसके जुबां पर भगवत का नाम हमेशा रहता था। सदना ने पंडित जी का आदर किया और पंडित जी सदना से बोले अनर्थ यह तुम क्या कर रहे हो जिसको तुम एक पत्थर मानते हो वो पत्थर नहीं स्वयं शालिग्राम है भगवान विष्णु का स्वरूप है और तुम इनसे मांस तोल रहे हो सजना बड़ा परेशान हो गया और उसने शालिग्राम ब्राह्मण को दे दिया।

ब्राह्मण देवता शालिग्राम भगवान को अपने घर पर लाकर खूब सुंदर भाव से रोज नियम से अभिषेक, पूजा-अर्चना करने लगे।  एक दिन ब्राह्मण के सपने में भगवान प्रकट हुए और ब्राह्मण से बोले तुम मुझे यहाँ क्‍यों ले आये ? मुझे तो अपने भक्त सदना के ही बड़ा सुख मिलता था। मुझको सदना को ही देकर आओ।

ब्राह्मण ने पूछा भगवान मेरे से कुछ गलती हो गई? भगवन बोले तुम्हारे से कोई गलती नहीं हुई मैं तुम्हारे से बहुत खुश हूं पर मुझे सदना के पास भेज दो जो हर समय भगवत नाम लेते हैं वह मुझे अधिक प्रिय होते हैं अगले दिन सुबह उठकर सबसे पहले वह ब्राह्मण शालिग्राम को लेकर दोबारा सदना की दुकान पर पहुंचे और वह उसको सारी लीला बताएं भाव विभोर होकर रोने लगे और उसी दिन से वह ठाकुर जी की सेवा में और लग गया इसीलिए कहते हैं। चाहे कुछ भी हो भक्ति बड़े प्रेम और भाव से करनी चाहिए भगवान हम सबके हृदय में प्रकट हो जाते हैं।

आज भी यह शालिग्राम बिहार के पश्चिमी चंपारण के बगहापुर के पिकवली मंदिर के गर्व गर्भ ग्रह मैं स्थापित है। यह शालिग्राम सदना ने ही स्थापित किया था और वे यहीं पर पूजा अर्चना करते थे।