शांति, धन, दया, बुद्धि और शक्ति चाहिए तो इस मंत्र को जपे


या देवी सर्व भूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१||


या देवी सर्व भूतेषु चेतनेत्य भिधीयते |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||२||


या देवी सर्व भूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||३||


या देवी सर्व भूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||४||


या देवी सर्व भूतेषु क्षुद्धारूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||५||


या देवी सर्व भूतेषु छायारूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||६||


या देवी सर्व भूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||७||


या देवी सर्व भूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||८||


या देवी सर्व भूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||९||


या देवी सर्व भूतेषु जातिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१०||


या देवी सर्व भूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||११||


या देवी सर्व भूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१२||


या देवी सर्व भूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१३||


या देवी सर्व भूतेषु कांतिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१४||


या देवी सर्व भूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१५||


या देवी सर्व भूतेषु वृतत्तिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१६||


या देवी सर्व स्मृतिभूतेषु रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१७||


या देवी सर्व भूतेषु दयारूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१८||


या देवी सर्व भूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१९||


या देवी सर्व भूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||२०||


या देवी सर्व भूतेषु मातृरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||२१||


या देवी सर्व भूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||२२||


या देवी सर्व भूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||२३||


इन्द्रियाणा मधिष्ठात्री भूतानाम् चाखिलेषु |
या भूतेषु सततम् तस्यै व्याप्तिदेव्यो नमो नमः ||24||


चितिरूपेण या कृत्सनम एतत व्याप्य स्थितः जगत |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||25||