अमावस्या तिथि के स्वामी एवं सभी 12 अमावस्या के नाम


"अमावस्या" सूर्य और चंद्रमा के मिलन समय को दर्शाती है, जिससे चंद्रमा की दृश्यमान अनुपस्थिति होती है। यह शुभ मिलान तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच का अंतर शून्य हो जाता है। अमावस्या प्रत्येक माह में एक बार होने वाला महत्वपूर्ण अवसर है, जो वर्ष के बारह माहों के समानानुसार होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, अमावस्या को "पितृदेव" के रूप में सम्मानित करने का शुभ समय माना जाता है। अमावस्या के दौरान, चंद्रमा की क्षय और उदय अवस्थाएं दिखाई नहीं देती हैं, जो एक विशेष आध्यात्मिक महत्व को प्रतिष्ठित करती हैं।

 

प्रमुख अमावस्याएं : सोमवती अमावस्या, भौमवती अमावस्या, मौनी अमावस्या, शनि अमावस्या, हरियाली अमावस्या, दिवाली अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या आदि मुख्‍य अमावस्या होती है।

 

सोमवती अमावस्या- सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता हैं। इस दिन व्रत रखने से चंद्र का दोष दूर होता है। इस दिन खासकर महिलाओं को अपने पति के लंबे जीवन के लिए सोमवती अमावस्या का व्रत करना चाहिए।

भौमवती अमावस्या- मंगलवार को पड़ने वाली अमावस्या को भौमवती (भौम अर्थात मंगल) अमावस्या कहा गया है। भौमवती अमावस्या के दिन धन धान्य की कामना और कर्ज से मुक्ति के लिए व्रत रखा जाता है।

मौनी अमावस्या- मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है जो कि माघ माह में आती है। इसे आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन गंगा तट पर स्नान,दान आदि का बड़ा महत्व बताया गया है।

शनि अमावस्या- शनिवार के दिन आने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं। इस दिन व्रत रखने से शनि के दोष दूर हो जाते हैं।

महालय अमावस्या- महालया अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन अन्न दान और तर्पण आदि करने से पूर्वजों प्रसन्न होते हैं।

हरियाली अमावस्या- महादेव के प्रिय माह श्रावण में हरियाली अमावस्या आती है। जिसे महाराष्ट्र में गटारी अमावस्या , तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में चुक्कला और उड़ीसा में चितलागी अमावस्या कहते हैं। इस दिन पौधा रोपण करने का महत्व है। इस दिन पितरों की शांति हेतु भी पूजा अनुष्ठान किए जाते हैं।

दिवाली अमावस्या- कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली अमावस्या कहते हैं। इस अमावस्या के समय दीपोत्सव मनाया जाता है। मूल रूप से यह अमावस्या माता कालीका से जुड़ी हुई है इसीलिए उनकी पूजा का महत्व है। इस दिन लक्ष्मी पूजा का महत्व भी है। कहते हैं कि दोनों ही देवियों का इसी दिन जन्म हुआ था।इसी दिन दिवाली का मुख्य त्योहार देश भर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

कुशग्रहणी अमावस्या- कुश एकत्रित करने के कारण ही इसे कुशग्रहणी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन को पिथौरा अमावस्या भी कहा जाता है। पिथौरा अमावस्या को देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।

अन्य सभी अमावस्याएं दान और स्नान के महत्व की हैं।