विष्णु अवतार: वेंकटेश्वर की कहानी


एक समय की बात है, जब धरती पर अंधकार और अधर्म का राज था। लोग पाप और अन्याय में डूबे हुए थे। भगवान विष्णु ने देखा कि उनके भक्तों की दीन-हीनता और दुख-दर्द बढ़ते जा रहे हैं। इस स्थिति को देखकर, उन्होंने निर्णय लिया कि वे धरती पर एक अवतार के रूप में प्रकट होंगे। इस प्रकार, उन्होंने वेंकटाचल पर्वत की गोद में प्रकट होने का निश्चय किया। वेंकटेश्वर का जन्म एक भक्त ब्राह्मण के घर हुआ, जिन्होंने हमेशा भगवान की भक्ति की। जब वेंकटेश्वर बड़े हुए, तो उन्होंने अपनी अद्भुत शक्तियों का एहसास किया। वह सच्चाई और धर्म के लिए लड़ने के लिए तत्पर थे।

 

एक दिन, जब वह जंगल में ध्यान कर रहे थे, तब एक असुर का सामना हुआ। उस असुर ने धरती पर आतंक मचाया हुआ था और लोग उससे डरते थे। वेंकटेश्वर ने उस असुर से लड़ने का निर्णय लिया। दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। असुर ने अपनी सभी शक्तियों का प्रयोग किया, लेकिन वेंकटेश्वर ने अपनी भक्ति और साहस से उसे पराजित कर दिया। उन्होंने असुर को समझाया कि सच्चाई और धर्म का मार्ग ही सच्चा मार्ग है। असुर ने अपनी गलती स्वीकार की और भगवान की भक्ति करने लगा। इस जीत से वेंकटेश्वर की महिमा चारों ओर फैलने लगी। लोग उन्हें अपने संकटों से उबारने वाले रक्षक के रूप में मानने लगे। उनके प्रति भक्ति बढ़ने लगी। मंदिरों का निर्माण होने लगा, और वेंकटेश्वर की पूजा अर्चना होने लगी।

 

एक दिन, एक गरीब किसान अपने खेत की बंजर भूमि को लेकर दुखी था। उसने सोचा, "मैंने हर संभव प्रयास किया, लेकिन कोई फसल नहीं हो रही।" वह वेंकटेश्वर की शरण में गया और उनसे प्रार्थना की। वेंकटेश्वर ने उसके मन की बात समझी और उसे आश्वासन दिया कि वह उसकी सहायता करेंगे। कुछ समय बाद, किसान ने देखा कि उसके खेत में फसल उग आई है। उसकी मेहनत और भगवान की कृपा से उसकी भूमि समृद्ध हो गई। किसान ने खुशी-खुशी मंदिर में जाकर वेंकटेश्वर को धन्यवाद दिया। इस प्रकार, वेंकटेश्वर ने न केवल अपने भक्तों को संकट से उबारा, बल्कि उन्हें सच्चाई और भक्ति का मार्ग भी दिखाया। उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति ने उन्हें एक नई पहचान दी। वेंकटेश्वर की कथा आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। वे कहते हैं कि जो सच्चे मन से वेंकटेश्वर की भक्ति करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। आज भी लोग हर साल वेंकटेश्वर के मंदिरों में जाकर अपनी मनोकामनाएँ पूरी करने के लिए आते हैं।

वेंकटेश्वर ने सिखाया कि सच्चाई और भक्ति के मार्ग पर चलने से हर बाधा को पार किया जा सकता है।