कर्म का फल


एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक साधारण किसान रहता था। रामू मेहनती और ईमानदार किसान था, लेकिन उसकी किस्मत हमेशा उसके साथ नहीं रहती थी। हर साल उसकी फसल या तो बर्बाद हो जाती थी या फिर उसकी मेहनत का पूरा मूल्य नहीं मिलता था। गाँव में एक धनी व्यापारी भी रहता था, जिसका नाम था सुरेश। सुरेश अपने धन और प्रभाव का गलत इस्तेमाल करता था। वह गरीब किसानों का शोषण करता था और अपने लाभ के लिए उन्हें कर्ज देता था, जिसे चुकाना उनके लिए नामुमकिन हो जाता था। रामू हमेशा सुरेश के व्यवहार से दुखी रहता था, लेकिन वह अपने कर्मों पर विश्वास रखता था। एक दिन, रामू ने सोचा कि वह सुरेश को उसके कर्मों का फल दिखाएगा। उसने अपने खेतों में कड़ी मेहनत की और अच्छे बीज बोए। उसने अपनी फसल की बखूबी देखभाल की, और जब फसल तैयार हुई, तो वह अपनी मेहनत के फल को देखने के लिए उत्सुक था। इस बीच, सुरेश ने अपने बुरे कर्मों को जारी रखा। उसने गाँव के गरीब किसानों से और भी ज्यादा कर्ज लेना शुरू कर दिया। उसने सोचा कि उसकी दौलत और शक्ति से वह हमेशा सुरक्षित रहेगा। लेकिन उसे पता नहीं था कि उसका बुरा कर्म उसे एक दिन अवश्य भरेगा। फसल के समय, रामू की फसल बहुत अच्छी हुई और उसने बाजार में उसे बेचा। उसके मेहनत का फल उसे मिला, और उसने अपने परिवार के लिए अच्छे भोजन और कपड़े खरीदे। वहीं, सुरेश की स्थिति बद से बदतर हो गई। उसने अपने कर्ज चुकाने के लिए और भी ज्यादा लोगों से धन उधार लिया, लेकिन उसके लाभ के लिए कोई नहीं आया। एक दिन, सुरेश ने रामू के पास आकर कहा, "भाई रामू, मुझे तुमसे मदद चाहिए। मैं कर्ज में डूब गया हूँ और मुझे तुम्हारी फसल का एक हिस्सा उधार चाहिए।" रामू ने मुस्कुराकर कहा, "सुरेश भाई, तुम्हारे कर्मों का फल तुम भोग रहे हो। मैंने हमेशा मेहनत की और ईमानदारी से काम किया। तुमने दूसरों का शोषण किया है, और अब तुम्हें अपने कर्मों का फल मिल रहा है।" सुरेश को यह सुनकर बहुत बुरा लगा, लेकिन वह जानता था कि रामू की बातें सही हैं। उसने अपने कर्मों पर विचार किया और समझा कि अब समय आ गया है कि वह अपने बुरे कर्मों को सुधारने का प्रयास करे। उसने गाँव के लोगों से माफी मांगी और अपने कर्ज चुकाने का निर्णय लिया। कुछ महीनों के बाद, सुरेश ने धीरे-धीरे अपने कर्मों को सुधारना शुरू किया। उसने गाँव के किसानों की मदद की और उनकी फसल में सहयोग दिया। रामू ने उसे फिर से अपनाया और दोनों ने मिलकर गाँव के विकास के लिए काम किया। इस प्रकार, रामू और सुरेश की कहानी ने गाँव में एक नया संदेश फैलाया। यह संदेश था कि बुरे कर्मों का फल हमेशा मिलता है, और अच्छे कर्मों का फल भी। इस तरह, गाँव में सबने सीखा कि कर्म ही असली पहचान है।