AartiGyan | 27 December 2025
गाँव का नाम था रामगढ़। यह एक छोटा सा गाँव था, लेकिन यहाँ की संस्कृति और परंपराएँ बहुत गहरी थीं। जैसे-जैसे राम नवमी का दिन नजदीक आ रहा था, गाँव में सभी लोग उत्साह से भरे हुए थे। हर घर में तैयारियाँ चल रही थीं।
सूरज की पहली किरण के साथ ही, गाँव के बच्चे मंदिर की ओर दौड़ने लगे। उनकी आँखों में चमक थी, जैसे वे भगवान राम के जन्मोत्सव का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हों। गाँव के बुजुर्गों ने बताया था कि इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था, और तभी से राम नवमी का त्योहार मनाया जाता था।
गाँव के मुखिया, श्री राधेश्याम ने अपने घर के आँगन में एक बड़ा झूला लगाया। उन्होंने कहा, "हर साल की तरह इस बार भी हम झूला झूलाएंगे और भजन-कीर्तन करेंगे।" उन्होंने गाँव के हर एक सदस्य को निमंत्रण दिया, और सभी ने खुशी-खुशी सहमति दी।
गाँव की महिलाओं ने मिलकर सजीव झाँकी तैयार की। उन्होंने भगवान राम, माता सीता, और भाई लक्ष्मण की मूर्तियाँ बनाई। हर कोई अपनी कला दिखाने के लिए उत्सुक था। गाँव की सबसे बुजुर्ग महिला, दादी बिंदु ने कहा, "इस बार हम खासतौर पर रामायण के कुछ प्रसंगों का नाटक भी करेंगे।" सभी ने दादी की बात पर जोर से हामी भरी।
जैसे-जैसे दिन बीत रहा था, गाँव में हर जगह राम नवमी की खुशबू फैलने लगी। बच्चे भक्ति गीत गाते हुए मंदिर की ओर जाते, और बड़े लोग परंपरागत कपड़े पहनकर तैयार होते। गाँव के एक कोने में, रामलीला का मंच सजाया गया था। हर कोई उत्सुकता से उसकी तैयारी देख रहा था।
राम नवमी का दिन आखिरकार आ गया। सुबह-सुबह गाँव के मंदिर में पूजा का आयोजन हुआ। सभी ने एकत्र होकर मिलकर भगवान राम की आरती की। मंदिर के बाहर भव्य सजावट की गई थी, और हर तरफ रंग-बिरंगे फूल लगे हुए थे। लोग खुशी से झूम रहे थे।
पूजा के बाद, गाँव के सभी लोग झूला झूलने के लिए आँगन में इकट्ठा हुए। बच्चे झूले पर बैठकर हंसते और खेलते रहे। इस बीच, दादी बिंदु ने रामायण के कुछ प्रसंग सुनाए, और नाटक की तैयारी के लिए सभी को प्रोत्साहित किया।
शाम को, गाँव के सभी लोग रामलीला में शामिल हुए। नाटक का मंच सज चुका था और सभी पात्र अपने-अपने किरदार में रंग चुके थे। भगवान राम, माता सीता, और लक्ष्मण जैसे पात्रों ने मंच पर आकर दर्शकों का दिल जीत लिया। दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया।
नाटक के दौरान, जब भगवान राम ने रावण का वध किया, तो गाँव के लोग खुशी से झूम उठे। उन्होंने एक-दूसरे को मिठाई बांटी और एक-दूसरे को राम नवमी की शुभकामनाएँ दीं।
रात को, गाँव के लोग एकत्र होकर भजन गाते रहे। इस तरह, राम नवमी का त्योहार एकता और भक्ति का प्रतीक बन गया। गाँव में प्यार और भाईचारे की भावना ने सभी को एकजुट कर दिया। रामगढ़ में हर साल की तरह इस बार भी राम नवमी ने सबके दिलों में भगवान राम की भक्ति की ज्योति जला दी।
इस तरह, राम नवमी का त्योहार केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि गाँव के लोगों के लिए एक अद्भुत अनुभव बन गया। सभी ने मिलकर भगवान राम के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित की और इस अद्भुत दिन को हमेशा के लिए यादगार बना दिया।