हिमालय की ऊँचाइयों पर, जहाँ बर्फ की चादर हर समय फैली रहती थी, वहाँ भगवान शिव का निवास था। शिव, जिन्हें महादेव के नाम से भी जाना जाता है, हमेशा ध्यान में मग्न रहते थे। लेकिन उनकी कहानियाँ, जो धरती पर फैली हुई थीं, उन्हें एक अलग ही रूप में प्रकट करती थीं। एक दिन, जब शिव ध्यान में थे, उनकी पत्नी पार्वती ने उनसे कहा, "प्रिय, तुम हमेशा ध्यान में रहते हो। क्या तुम मुझे अपनी कहानियाँ नहीं सुनाओगे?" शिव ने मुस्कुराते हुए कहा, "बिल्कुल, पार्वती। मेरी कहानियाँ केवल कहानियाँ नहीं हैं, ये जीवन के गूढ़ रहस्यों को उजागर करती हैं।"
शिव ने सबसे पहले 'सती' की कथा सुनाई। सती, दक्ष प्रजापति की पुत्री थी और शिव की पहली पत्नी। सती ने अपने पिता के यज्ञ में शिव को निमंत्रित नहीं किए जाने पर नाराज होकर आत्मदाह कर लिया। यह सुनकर शिव अत्यंत दुखी हुए और तांडव किया। उनके तांडव से सृष्टि में हाहाकार मच गया। तब भगवान विष्णु ने सती के शरीर को तंत्र से 51 टुकड़ों में काटकर विभिन्न स्थानों पर फेंक दिया। ये टुकड़े आज भी शक्तिपीठों के रूप में पूजा जाते हैं। पार्वती ने यह सुनकर कहा, "यह तो बहुत दुखदायी कथा है। लेकिन इसमें एक गहरा संदेश है।" शिव ने कहा, "हाँ, पार्वती। यह कहानी हमें सिखाती है कि प्रेम और समर्पण की शक्ति कितनी महान होती है।"
फिर शिव ने 'गंगा' की कहानी सुनाई। जब गंगा स्वर्ग से धरती पर आने का निश्चय करती हैं, तो उनका वेग इतना प्रचंड होता है कि धरती को नष्ट कर सकती है। तब भगवान शिव ने अपनी जटाओं में गंगा को समाहित कर लिया, ताकि वे धीरे-धीरे धरती पर प्रवाहित हो सकें। इस प्रकार शिव ने न केवल गंगा को धरती पर लाने का कार्य किया, बल्कि उनकी महिमा को भी बढ़ाया। पार्वती ने पूछा, "लेकिन, शिव, तुम्हारी जटाएँ क्यों?" शिव ने उत्तर दिया, "यह दिखाता है कि सच्ची शक्ति वही है, जो संयमित और संतुलित हो।"
जब रात का अंधेरा छाने लगा, तब शिव ने 'हनुमान' की कथा सुनाई। हनुमान, जो राम के परम भक्त हैं, जब राम के साथ युद्ध में गए और रावण के पास से संजीवनी बूटी लाने गए, तो उन्होंने अपने विश्वास और साहस से सभी बाधाओं को पार किया। शिव ने कहा, "हनुमान की कथा यह सिखाती है कि भक्ति और समर्पण से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।" पार्वती ने कहा, "आपकी कहानियाँ अद्भुत हैं, शिव। ये हमें प्रेरित करती हैं।"
शिव ने मुस्कुराते हुए कहा, "इन कहानियों में मेरी शक्ति, प्रेम, और करुणा का संचार है। जब तुम इन्हें सुनते हो, तो तुम भी मेरे साथ जुड़ जाते हो। यह ही सच्चा मार्ग है।" दूर हिमालय की चोटी से, शिव की कहानियाँ धरती पर गूंजती रहीं, जैसे कि उन्होंने सभी जीवों को अपनी ओर बुलाया। उनकी कहानियाँ हमेशा जीवन की गहराई और सरलता को व्यक्त करती थीं। यही है 'शिव की कहानियाँ'।







