एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक संत रहते थे। उनका नाम था 'संतोष'। संतोष एक साधारण व्यक्ति थे, लेकिन उनकी गहरी सोच और प्रेम से भरे हृदय ने उन्हें खास बना दिया था। गाँव के लोग उन्हें बेहद पसंद करते थे और उनकी बातें सुनने के लिए उत्सुक रहते थे। संतोष का जीवन साधारण था, लेकिन उन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य खोज लिया था। वह हमेशा कहते थे, "सच्चा संत वही है जो दूसरों के दुख को समझता है और उनकी मदद करता है।" संतोष गाँव के बच्चों को शिक्षा देते, बुजुर्गों की सेवा करते और जरूरतमंदों की सहायता करते। उनके पास हमेशा एक मुस्कान होती थी और उनकी आँखों में एक अनोखी चमक थी।
एक दिन, गाँव में एक व्यापारी आया। व्यापारी ने संतोष से कहा, "आपका जीवन कितना साधारण है! क्या आप कभी धन और दौलत की चाह नहीं रखते?" संतोष ने मुस्कुराते हुए कहा, "धन और दौलत से अधिक मूल्यवान है प्रेम और शांति। जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तब हमें सच्ची खुशी मिलती है।" व्यापारी ने संतोष की बातें सुनीं, लेकिन वह उनकी सोच को समझ नहीं सका। कुछ समय बाद, गाँव में एक भयंकर बाढ़ आई। सभी लोग डर गए और घरों को छोड़कर भागने लगे। लेकिन संतोष ने लोगों को एकत्र किया और कहा, "डरने की कोई बात नहीं है। हम मिलकर इस विपत्ति का सामना करेंगे।" उन्होंने लोगों को एकत्रित किया और उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। संतोष ने खुद भी बाढ़ के पानी में कूदकर लोगों की मदद की। बाढ़ के बाद, गाँव के लोग संतोष की वीरता और साहस की प्रशंसा करने लगे।
उन्होंने महसूस किया कि संतोष का जीवन वास्तव में धन्य है। संतोष ने अपने जीवन के माध्यम से सभी को यह सिखाया कि सच्चा संत वही है जो दूसरों के लिए जीता है। कुछ महीनों बाद, संतोष ने एक ध्यान शिविर का आयोजन किया। गाँव के सभी लोग उसमें शामिल हुए। संतोष ने ध्यान करने की विधि सिखाई और बताया कि कैसे ध्यान से मन को शांति मिलती है। उन्होंने कहा, "जब हम अपने भीतर की आवाज़ सुनते हैं, तब हम सच्चे संत बनते हैं।" लोगों ने संतोष की बातें ध्यान से सुनीं और उनके जीवन में बदलाव लाने का प्रयास करने लगे। संतोष की शिक्षाओं ने गाँव को बदल दिया। लोग एक-दूसरे की मदद करने लगे, प्रेम और भाईचारे का माहौल बनने लगा।
संतोष ने यह साबित कर दिया कि सच्चा संत वही है जो प्रेम, करुणा और सेवा के मार्ग पर चलता है। एक दिन, संतोष ने गाँव के एक पेड़ के नीचे बैठकर ध्यान करने का निर्णय लिया। उन्होंने अपनी आँखें बंद कीं और गहरी साँस ली। जब उन्होंने आँखें खोलीं, तो उनके चारों ओर लोग खड़े थे। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "प्रेम और सेवा का मार्ग हमेशा खुला है। हमें बस इसे अपनाना है।" यह सुनकर सभी ने एक साथ कहा, "हम आपके मार्ग पर चलेंगे, संतोष।" संतोष ने सिर झुकाया और कहा, "सच्चा संत वही है जो दूसरों के दिलों में प्रेम बोता है।" इस प्रकार संतोष ने अपने जीवन में जो शिक्षा दी, वह हमेशा के लिए गाँव के लोगों के दिलों में बस गई। संत की कहानी आज भी सुनाई जाती है, और लोग उसे अपने जीवन में अपनाते हैं।







