गांव का नाम था नंदपुर। यह गांव अपनी हरियाली और शांत वातावरण के लिए जाना जाता था। हर पूर्णिमा की रात, जब चाँद आसमान में अपनी चांदनी बिखेरता, गांव के लोग एकत्र होते थे। यह न केवल एक परंपरा थी, बल्कि एक अनुष्ठान भी। सभी लोग अपनी-अपनी टोकरी में फूल और दीपक लेकर गांव के मंदिर की ओर बढ़ते। इस रात का मुख्य आकर्षण था, उस विशेष मंत्र का जप करना, जिसे गांव के बुजुर्गों ने सदियों से सुन रखा था। मंत्र का अर्थ था—‘शांति और प्रेम का संचार’। हर कोई इस मंत्र को अपने दिल से जपता, और उसकी गूंज पूरे गांव में फैल जाती। सभी लोग एक चक्र में खड़े होते, और फिर एक साथ उस मंत्र का उच्चारण करते। इस मंत्र के जपने से गांव में एक अद्भुत ऊर्जा महसूस होती। लोग कहते थे कि यह मंत्र केवल शब्द नहीं हैं, बल्कि एक प्रकार की शक्ति है जो गांव की मिट्टी से जुड़ी है।
इस विशेष रात में, गांव के लड़के-लड़कियाँ अपने-अपने दीपक जलाते और उन्हें मंदिर की ओर ले जाते। दीपक की रोशनी और चाँद की चांदनी मिलकर एक जादुई वातावरण का निर्माण करती। जैसे ही मंत्र का जप शुरू होता, आसमान में हल्की सी गरज सुनाई देती। लोग मानते थे कि यह भगवान का आशीर्वाद होता है। लेकिन इस साल, कुछ अलग हुआ। जैसे ही लोग मंत्र का जप करने लगे, अचानक आसमान में बादल छा गए। सब लोग चौंक गए। क्या यह संकेत है? क्या कुछ गलत होने वाला है? लेकिन गांव की एक वृद्ध महिला, दादी अम्बा, ने उन्हें शांत करते हुए कहा, "डरो मत, यह केवल एक परीक्षण है। हमें अपने विश्वास को मजबूत रखना है।" दादी अम्बा ने मंत्र का जप करना जारी रखा, और धीरे-धीरे सभी ने उनका अनुसरण किया। जैसे-जैसे उनकी आवाजें मिलती गईं, बादल भी धीरे-धीरे हटने लगे। अचानक, एक चमकदार रोशनी आसमान में छा गई। गांव के सभी लोग मंत्र का जप करते रहे, और तभी एक अद्भुत घटना हुई।
एक सुनहरी किरण ने गांव के मंदिर पर प्रकाश डाला। यह देखकर लोगों ने एक-दूसरे को देखा और फिर से मंत्र का जप किया। यह एक अद्भुत अनुभव था। जैसे-जैसे मंत्र की गूंज बढ़ती गई, चाँद भी और अधिक चमकने लगा। कुछ ही समय में, बादल पूरी तरह से छंट गए और चाँद अपनी पूरी चाँदनी के साथ चमकने लगा। दादी अम्बा ने मुस्कुराते हुए कहा, "देखो, हमारी एकता और विश्वास ने हमें इस चुनौती से बाहर निकाल लिया।" उस रात, नंदपुर गांव ने केवल मंत्र का जप नहीं किया, बल्कि एकता और विश्वास का भी जप किया। उस दिन से गांव के लोग हर पूर्णिमा की रात को उस दिन के अनुभव को याद करते हैं, और उनके दिल में विश्वास और प्यार का संचार होता है। गांव की परंपरा और भी मजबूत हो गई, और लोग मानने लगे कि जब वे एक साथ होते हैं और एक साथ जप करते हैं, तो कोई भी बाधा उन्हें नहीं रोक सकती।
यही है नंदपुर का जादू, जो हर पूर्णिमा को गूंजता है।







