गाँव के छोटे से कोने में बसे श्यामलपुर में हर साल लक्ष्मी पूजा बड़े धूमधाम से मनाई जाती थी। इस बार भी गाँव वाले अपने-अपने घरों में दीप जलाने और देवी लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी कर रहे थे। हर घर में खास पकवान बन रहे थे, मिठाईयाँ तैयार की जा रही थीं और महिलाएँ रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर सज रही थीं। श्यामलपुर के एक छोटे से घर में, राधा और उसके पति मोहन ने लक्ष्मी पूजा की तैयारी के लिए अपना सारा समय दे दिया था। मोहन एक साधारण किसान था, और राधा घर की देखभाल करती थी। उनके पास धन की कमी थी, फिर भी उन्होंने इस पूजा को अपने सामर्थ्य के अनुसार मनाने का फैसला किया।
राधा ने रसोई में जाकर चावल, दाल और सब्जियाँ तैयार कीं। उसने सोचा, "यदि लक्ष्मी माता ने इस बार हमारी मेहनत का फल दिया, तो शायद हमारी किस्मत भी बदल जाए।" पूजा के दिन राधा ने एक सुंदर सा थाल सजाया, जिसमें मिठाइयाँ, फल और फूल रखे। उसने मोहन से कहा, "इस बार पूजा में पूरा मन लगाकर करेंगे, ताकि माता लक्ष्मी का आशीर्वाद हम पर बना रहे।" जब पूजा का समय आया, तो पूरा गाँव देवी लक्ष्मी की आराधना में जुट गया। राधा और मोहन ने अपने घर के आँगन में दीप जलाए और देवी लक्ष्मी की तस्वीर के सामने हाथ जोड़े। मोहन ने प्रार्थना की, "हे देवी, हमारी मेहनत को पहचानो और हमें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दो।" राधा ने भी मन से प्रार्थना की।
पूजा के बाद, गाँव में एक अद्भुत घटना हुई। एक बुढ़िया, जो हमेशा गाँव में भिक्षा माँगती थी, अचानक राधा के घर के पास आई। उसने कहा, "बेटा, मुझे कुछ खाने को दे दो।" राधा ने तुरंत घर के बने पकवानों में से कुछ उसे दिए। बुढ़िया ने खाने के बाद राधा से कहा, "तुमने मुझे दया दिखाई है, मैं तुम्हें एक उपहार देना चाहती हूँ।" यह कहकर उसने एक छोटी सी लाल थैली राधा को दी। राधा ने थैली खोली और उसमें से सोने की एक छोटी सी अंगूठी निकली। बुढ़िया ने कहा, "ये लक्ष्मी माता का आशीर्वाद है। इसे अपने घर में रखें, और तुम हमेशा धन्य रहोगी।" राधा ने बुढ़िया का धन्यवाद किया, लेकिन उसने सोचा, "क्या यह सच है?" राधा और मोहन ने उस अंगूठी को देवी लक्ष्मी की मूर्ति के पास रख दिया। अगले दिन, मोहन ने खेत में काम करते वक्त एक पुरानी खोई हुई सोने की गहना पाया। यह देखकर दोनों आश्चर्यचकित रह गए। धीरे-धीरे उनके खेत में फसल अच्छी होने लगी, और गाँव के लोगों ने भी उनकी मेहनत की प्रशंसा की।
राधा और मोहन समझ गए कि यह सब लक्ष्मी माता की कृपा का परिणाम था। उन्होंने बुढ़िया को धन्यवाद देने का निर्णय लिया, लेकिन जब वे उसे खोजने गए, तो पता चला कि वह गाँव में कभी नहीं आई थी। इस घटना ने गाँव के लोगों को एक संदेश दिया – सच्ची श्रद्धा और मेहनत से सब कुछ संभव है। लक्ष्मी पूजा के इस उत्सव ने राधा और मोहन का जीवन बदल दिया और उन्हें यह विश्वास दिलाया कि देवी लक्ष्मी हमेशा उनके साथ हैं।







