कुबेर का खजाना


बहुत समय पहले की बात है, जब धरती पर धन और समृद्धि के देवता कुबेर रहते थे। कुबेर का खजाना इतना विशाल था कि उसके बारे में सुनकर ही लोग आश्चर्यचकित हो जाते थे। वह हिमालय पर्वत पर अपने महल में निवास करते थे, जहाँ अनगिनत धन और रत्नों का संग्रह था। लेकिन कुबेर का खजाना केवल उन लोगों के लिए था, जो सच्चे दिल से उसकी पूजा करते थे। एक छोटे से गाँव में, एक गरीब किसान, रामू, अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए मेहनत करता था। उसके पास बहुत कम जमीन थी, लेकिन उसका दिल बड़ा था। वह हमेशा दूसरों की मदद करने में विश्वास करता था।

 

एक दिन, जब रामू खेत में काम कर रहा था, तब उसे एक पुरानी पुस्तक मिली। उस पुस्तक में कुबेर के खजाने के बारे में लिखा था। रामू को लगा कि अगर वह कुबेर को प्रसन्न कर सके, तो उसकी गरीबी दूर हो सकती है। उसने पुस्तक में दिए गए मंत्रों का जाप करना शुरू किया और कुबेर की पूजा करने लगा। हर दिन, वह सुबह उठकर स्नान करता और फूलों की माला बनाकर कुबेर की मूर्ति को अर्पित करता। धीरे-धीरे, उसका समर्पण और विश्वास कुबेर तक पहुंचा। एक रात, रामू को सपना आया, जिसमें कुबेर ने उसे कहा, "तुम्हारे सच्चे दिल और मेहनत के कारण, मैं तुम्हें एक मौका दूंगा।" कुबेर ने रामू को एक खजाने की दिशा बताई, जो उसके गाँव के पास एक पुरानी गुफा में छिपा था। अगले दिन, रामू ने अपनी पत्नी को बताया और दोनों ने मिलकर गुफा की ओर यात्रा शुरू की। गुफा के अंदर, उन्होंने चमकते हुए सोने के सिक्के, हीरे और अनमोल रत्न देखे। लेकिन रामू ने देखा कि गुफा में एक पुराना तोता भी था, जो कुबेर का प्रतीक था। तोते ने कहा, "सिर्फ वही धन तुम्हारा होगा, जो तुम सही इरादे से उपयोग करोगे।" रामू ने धन को अपने गाँव के लोगों के साथ बांटने का निर्णय लिया।

 

उसने स्कूल, अस्पताल और पानी के कुएँ बनवाने का काम शुरू किया। धीरे-धीरे, गाँव में खुशहाली आ गई। लोगों की मेहनत और रामू की मदद से गाँव prosper करने लगा। कुबेर ने रामू की सच्चाई और दयालुता को देखकर उसे और भी धन दिया, लेकिन रामू ने हमेशा अपने गाँव की भलाई को प्राथमिकता दी। कुछ समय बाद, रामू का नाम गाँव में सबसे बड़े दानी के रूप में जाना जाने लगा। कुबेर ने उसकी भक्ति और निस्वार्थता को देखकर उसे एक आशीर्वाद दिया, जिससे उसकी फसलें हमेशा अच्छी होती रहीं। इस तरह, कुबेर ने रामू की ईमानदारी और सेवा भाव की वजह से उसे धन का आशीर्वाद दिया। रामू ने ना केवल अपने जीवन को बदला, बल्कि अपने गाँव को भी समृद्ध बनाया। यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि सच्ची भक्ति और दयालुता से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है।