गाँव की गलियों में हरितालिका तीज की तैयारियाँ चल रही थीं। हर तरफ रौनक थी, महिलाएँ अपने-अपने घरों में सजावट कर रही थीं। इस दिन का खास महत्व था, क्योंकि यह दिन महिलाओं के लिए अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की प्रार्थना करने का अवसर था। गाँव की सबसे प्यारी और समझदार लड़की, सिया, इस दिन का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी। सिया ने अपने माता-पिता से सुना था कि हरितालिका तीज के दिन, महिलाएँ भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करती हैं। सिया के दिल में एक खास ख्वाहिश थी - वो अपने प्रेमी आर्यन से शादी करना चाहती थी।
उस दिन सिया ने अपनी माँ से तैयार होने में मदद मांगी। उसकी माँ ने उसे एक सुंदर लाल साड़ी पहनाई, जिसमें सुनहरे कढ़ाई के फूल बने थे। सिया ने अपने बालों में फूल सजाए और अपने दिल में आर्यन के साथ बिताए पलों को याद किया। सिया ने सोचा, "अगर मैं सच्चे मन से भगवान शिव से प्रार्थना करूँगी, तो वो मेरी इच्छा जरूर पूरी करेंगे।" जब सिया पूजा के लिए गाँव के तालाब के पास गई, तो वहाँ पहले से ही बहुत सारी महिलाएँ इकट्ठा हो चुकी थीं। सबने मिलकर भगवान शिव की पूजा की और पार्वती माता से आशीर्वाद माँगा। सिया ने भी अपनी आँखें बंद करके प्रार्थना की, "हे भगवान, मुझे आर्यन का प्यार और साथ चाहिए।" पूजा के बाद, सिया ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर झूले झूलने का आनंद लिया। इस दौरान, आर्यन भी वहाँ आया। वह सिया को देखकर मुस्कुराया।
उस पल में सिया का दिल धड़क उठा। उसने आर्यन से कहा, "क्या तुम इस हरितालिका तीज पर मेरे साथ पूजा करोगे?" आर्यन ने तुरंत सहमति दी और कहा, "हाँ, मैं तुम्हारे साथ हर पूजा में रहूँगा।" सिया और आर्यन ने मिलकर एक छोटा सा पंडाल सजाया और वहाँ भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की। दोनों ने मिलकर दीप जलाए और आरती की। पूजा के बाद, सिया ने आर्यन से कहा, "क्या तुम मुझसे एक वादा करोगे?" आर्यन ने उत्सुकता से पूछा, "क्या वादा?" सिया ने कहा, "हरितालिका तीज पर तुम हमेशा मेरे साथ रहोगे, चाहे कुछ भी हो।" आर्यन ने मुस्कुराते हुए कहा, "मैं तुमसे वादा करता हूँ।" रात को, गाँव में जागरण का आयोजन हुआ। सारे लोग एकत्रित हुए और गीत-संगीत में मग्न हो गए। सिया और आर्यन ने एक साथ नृत्य किया और अपनी खुशियों को साझा किया।
हरितालिका तीज का जादू केवल पूजा तक सीमित नहीं था; यह प्रेम और समर्पण की कहानी थी। उस दिन सिया को यह एहसास हुआ कि सच्चा प्रेम और विश्वास ही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है। सिया ने अपनी प्रार्थना में केवल आर्यन का नाम नहीं लिया था, बल्कि उसने अपने प्रेम को और मजबूत करने का भी संकल्प लिया था। हरितालिका तीज का यह दिन सिया के लिए एक नए सफर की शुरुआत थी, जहाँ प्रेम, समर्पण और विश्वास के साथ उसकी कहानी और भी खूबसूरत बनने वाली थी।







