गरुड़ की गाथा


बहुत समय पहले की बात है, जब धरती पर देवताओं और दानवों का युद्ध जारी था। इस युद्ध में सभी देवताओं को एक अद्वितीय शक्ति की आवश्यकता थी, जो उन्हें दानवों पर विजय दिला सके। यह शक्ति थी गरुड़ की। गरुड़, जो एक विशाल और दिव्य पक्षी था, भगवान विष्णु का वाहन और श्रेष्ठतम भक्त माना जाता था। गरुड़ ने अपने पंखों को फैला कर आसमान में उड़ान भरी। उसकी तेज़ उड़ान और सुनहरी पंखों की चमक ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। गरुड़ की पहचान उसकी साहसिकता और उसकी निस्वार्थ भक्ति से थी। उसने अपने जीवन के कई वर्षों को तप और साधना में बिताया था। उसने अपने माता-पिता को दानवों द्वारा बंदी बनाए जाने के बाद, अपने हृदय में क्रोध और प्रतिशोध की ज्वाला को जगाया।

 

एक दिन, गरुड़ ने अपने माता-पिता को छुड़ाने का संकल्प लिया। उसने अपने पंखों को फैलाया और दानवों के गढ़ की ओर उड़ान भरी। गरुड़ ने अपने तेज़ उड़ान से दानवों को चौंका दिया। जब वह दानवों के महल के पास पहुंचा, तो उसने अपने तेज़ चोंच और मजबूत पंजों का उपयोग करके उन पर आक्रमण किया। दानवों ने गरुड़ को देखकर डर गए, लेकिन उन्होंने एकजुट होकर उसका सामना करने का प्रयास किया। गरुड़ ने अपनी चतुराई और शक्ति का प्रयोग करते हुए एक-एक दानव को परास्त किया। उसकी उडान में एक अद्भुत शक्ति थी, जो उसे हर बार नई ऊर्जा देती थी। गरुड़ ने एक गहरी सांस ली और अपनी माता-पिता की ओर देखा, जो दानवों की कैद में थे।

 

उसकी आँखों में आंसू थे, लेकिन उसके दिल में अडिग साहस था। उसने अपने माता-पिता को मुक्त करने का संकल्प लिया। अंततः, गरुड़ ने अपने अद्वितीय कौशल से दानवों को हराकर अपने माता-पिता को मुक्त किया। जब वह अपने माता-पिता के साथ वापस लौट रहा था, तो उसने भगवान विष्णु की कृपा को महसूस किया। वह जानता था कि भगवान विष्णु ने ही उसे इस शक्ति और साहस से संपन्न किया था। गरुड़ ने भगवान विष्णु के चरणों में जाकर उनकी भक्ति और प्रेम का अहसास किया। भगवान विष्णु ने गरुड़ को आशीर्वाद दिया और कहा, "तुम्हारी भक्ति और साहस ने हमें इस युद्ध में विजय दिलाई है। तुम हमेशा मेरे साथ रहोगे और मेरे भक्तों की रक्षा करोगे।" इस प्रकार, गरुड़ ने अपने साहस और भक्ति से न केवल अपने माता-पिता को मुक्त किया, बल्कि देवताओं की विजय में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसकी कहानी आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। गरुड़, जो भगवान विष्णु का वाहन है, हमेशा भक्ति और साहस का प्रतीक बना रहेगा।