बिजली महादेव जहाँ भोलेनाथ खुद पर गिराते हैं बिजली | Bijli Mahadev


भारत में भगवन शिव के अनेक शिवलिंग है उन्ही में से एक यह शिवलिंग हिमाचल प्रदेश के कुल्लू की पहाड़ियों पर स्थित है जो पार्वती और व्यास नदी के संगम पर पहाड़ी की ऊंचाई पर है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माना पता है कि इस क्षेत्र में कुलान्त नामक दैत्य रहता था जो अजगर के रूप में दिखता था।

 

कई हजार साल पहले ब्यास नदी के प्रवाह को रोककर इस घाटी को पूरा पानी में डूबाना चाहता था। वहां रहे रह रहे पशु, पक्षियों, जीव जंतुओं को मिटाना चाहता था। यह बात देवो के देव महादेव शंकर भगवान को पता चली तो भगवान शंकर ने अपनी माया से उस दैत्य के कान में जाकर बड़े मीठे शब्दों में बोला आप की पूंछ में आग लग गई है। इतना सुनते ही कुलांत नामक दैत्य पीछे मुड़कर अपनी पूंछ को देखने लगा तभी भगवान शिव ने उस दैत्य के सिर पर अपने त्रिशूल से वार कर दिया उसके बाद उसकी मृत्यु हो गई।

 

मृत्यु के बाद इस दैत्य का शरीर अति विशाल हो गया जो एक पहाड़ के रूप में बन गया इसीलिए इसी पहाड़ी का आकार सर के आकार में हैं जो 7 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है पर माना जाता है। कुल्लू घाटी का रोहतांग दर्रा और उधर मंडी तक की घाटी कुलान्त के शरीर से बानी हुई मानी जाती है। भगवान शिव ने इंद्र से हर 12 साल बाद आकाश से बिजली गिराने के लिए कहा था। भगवान शिव जो कभी किसी का बुरा नहीं देख सकते वह यह भी चाहते थे कि बिजली गिरने से किसी के धन और जान का नुकसान ना हो इसलिए इस पहाड़ी पर भगवन शिव अपने ऊपर ही बिजली को गिरवाते हैं। बिजली गिरने के बाद शिवलिंग खंडित हो जाता ह जिसको की पुजारी बड़े भाव से मक्खन के साथ जोड़ देता है और फिर यह शिवलिंग अपने पुराने रूप में ही वापस आ जाती हैं।

 

इसीलिए इस शिवलिंग को बिजली महादेव भी कहा जाता है हिमाचल प्रदेश में दूर-दूर कई अन्य प्रदेशों से लोगों के दर्शन करने आते हैं अपना जीवन धन्य करते हैं। यह मंदिर कुल्लू से ७ किलोमीटर की दूरी पर है।