एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक साधक निवास करता था। उसका नाम था रामेश्वर। वह दिन-रात भगवान की भक्ति में लीन रहता था। उसके मन में सच्चे भगवान की खोज की गहरी इच्छा थी। वह हमेशा सोचता था, 'भगवान कौन हैं? क्या वे सच में हमारे सामने हैं?' एक दिन, रामेश्वर ने निर्णय लिया कि वह अपनी खोज में निकलेगा। उसने गांव के बाहर एक पहाड़ी पर चढ़ने का निश्चय किया, जहां उसने सुना था कि एक संत निवास करते हैं। संत का नाम था महादेवा। लोग कहते थे कि वह भगवान के दर्शन करवा सकते हैं।
रामेश्वर ने सुबह-सुबह अपनी यात्रा प्रारंभ की। रास्ते में उसने कई कठिनाइयों का सामना किया। कभी उसे जंगलों से गुजरना पड़ा, कभी पहाड़ी की चढ़ाई करनी पड़ी। लेकिन उसकी भक्ति और दृढ़ संकल्प ने उसे कभी हार नहीं मानने दिया। आखिरकार, वह संत के आश्रम तक पहुंचा। महादेवा एक साधारण व्यक्ति थे, जिनका चेहरा शांति और आनंद से भरा हुआ था। रामेश्वर ने उनके पैर छूकर कहा, "हे महादेव, मैं भगवान की सच्चाई की खोज में आया हूँ। कृपया मुझे बताएं कि भगवान कौन हैं।" महादेवा ने मुस्कराते हुए कहा, "भगवान तुम्हारे भीतर हैं, बेटा। तुम्हें उन्हें खोजने के लिए बाहर नहीं जाना है।" रामेश्वर को ये शब्द सुनकर आश्चर्य हुआ, लेकिन उसने संत की बात को गंभीरता से लिया।
"लेकिन, मैं उन्हें कैसे देख सकता हूँ?" रामेश्वर ने पूछा। महादेवा ने कहा, "तुम्हें खुद को जानना होगा, तुम्हें अपने भीतर की गहराइयों में उतरना होगा। ध्यान करो, प्रार्थना करो और अपने मन को शांत करो। तभी तुम सच्चाई को देख पाओगे।" रामेश्वर ने संत की बात को सुनकर ध्यान करना शुरू किया। उसने अपनी आंखें बंद कीं और अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित किया। धीरे-धीरे, उसके मन में शांति का अनुभव होने लगा। वह अपने भीतर की दुनिया में खो गया। कई घंटों बाद, रामेश्वर ने एक अद्भुत अनुभव किया। उसने अपने भीतर एक प्रकाश का अनुभव किया, जो उसे प्रेम और आनंद से भर देता था। उसे महसूस हुआ कि भगवान केवल एक बाहरी शक्ति नहीं हैं, बल्कि वे उसके भीतर की ऊर्जा हैं।
इस अनुभव के बाद, रामेश्वर ने संत का आभार प्रकट किया और गांव लौट आया। वह अब पहले से अधिक शांत और खुश था। उसने अपने गांव में लोगों को सिखाना शुरू किया कि भगवान की खोज हमेशा बाहर नहीं होती, बल्कि वह हमें अपने भीतर ही मिलती है। रामेश्वर की भक्ति और उसकी साधना ने पूरे गांव में एक नई चेतना का संचार किया। लोग उसकी बातें सुनते और अपने भीतर के भगवान को खोजने की कोशिश करते। इस प्रकार, गांव में भक्ति और प्रेम का माहौल बन गया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि भगवान की खोज कभी भी बाहर नहीं होती, बल्कि वह हमारे भीतर ही है। हमें केवल उसे पहचानने और अनुभव करने की आवश्यकता है।







