शिवरात्रि एक महापर्व - महाशिवरात्रि


फाल्गुन, कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इस दिन ही ब्रह्मा जी से भगवान शंकर का रूद्र रूप अर्ध रात्रि में प्रकट हुआ था। श्री शिव पुराण में वर्णन है की शिवलिंग भगवान शंकर का निराकार स्वरूप का प्रतीक है जो इस दिन ही प्रकट हुआ था शिवलिंग का सर्वप्रथम पूजन श्री ब्रह्मा जी ने और भगवान विष्णु ने ही किया था इसी कारण फागुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा जाता है।

हर एक मास में एक शिवरात्रि आती है जो अमावस्या से एक दिन पहले मनाई जाती है फागुन मास की शिवरात्रि का महत्व कुछ अधिक है इस दिन पूजन करने से पूरे वर्ष की शिवरात्रिओं का फल प्राप्त होता है। भगवान शिव को प्रलय के देवता भी कहा जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने तांडव करके अपने तीसरे नेत्र से पूरे ब्रह्मांड को नष्ट किया था पर यह भी माना जाता है कि भगवान बाहर से कितने भी कठोर हो पर इनका ह्रदय एकदम कोमल है इसलिए इन्हें भोलानाथ भी कहा जाता है।

भगवान शिव को भाव से एक बेलपत्र चढ़ाने से भी यह खुश हो जाते हैं शिवरात्रि का दिन शिव भक्तों के लिए एक उत्सव का दिन होता है क्योंकि इस दिन ही भगवान शिव और पार्वती माता का मंगल विवाह हुआ था।