कैसे करते हैं शालिग्राम पूजन


अगर आपके घर में काशी या पीतल का थाल है तो उसमें चंदन से अष्ट कमल या अलंकार बना ले अगर बनाना नहीं आता तो चंदन लगाएं उस पर तुलसी पत्र और खुश रखे फिर शालिग्राम भगवान को विराजमान l फिर दक्षिण मुखी शंख में तुलसी पात्र डालकर रखें पहले दूध से अभिषेक करें फिर दही से फिर भी से फिर बुरा या खंड से फिर शहद से आखिर में जल से से करें और जल में केसर या सफेद या पीला चंदन मिला ले शालिग्राम अभिषेक दक्षिण मुखी शंख से ही करना चाहिए और अभिषेक के समय इन मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए या गुरु मंत्र का ओम नमो भगवते वासुदेवाय श्री विष्णवे नमः शालिग्राम अभिषेक के बाद शालिग्राम शिला को हाथ में लेकर साफ सूती वस्त्र से साफ करें फिर इत्र से शालिग्राम भगवान की मालिश करें फिर शालिग्राम शिला पर चंदन और तुलसी पत्र लगाएं

 

भगवान शालिग्राम को तुलसी अतिशय प्रिय है इसलिए कुछ संत जब चंदन भेजते हैं तो उसमें तुलसी की डंडी भी गिरते हैं जिससे पूरे दिन शालिग्राम भगवान से तुलसी दूर ना हो अगर पतरा उतर जाए फिर भी चंदन में तुलसा लगी रहती है चंदन और तुलसी लगाने के बाद शालिग्राम भगवान को चांदी के सिंहासन पर या जो भी आपके पास सिंहासन हो उस पर विराजमान करें और आप के गुरु द्वारा बताए हुए पूजा या विष्णु चालीसा या विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और आरती करें और बड़े सुंदर भाव से भगवान शालिग्राम को भोग लगाएं अगर आप रोज पंचगव्य से अभिषेक नहीं कर सकते तो आप जल्द से भी नित्य शालिग्राम भगवान की सेवा कर सकते हैं जिससे घर का वातावरण शुद्ध हो जाता है मोक्ष की प्राप्ति मिलती है सदा घर में लक्ष्मी का वास रहता है

 

भक्तमाल जी में बहुत सुंदर वर्णन है कसाई का वह रोज नित्य सेवा करता था मीराबाई भी श्री शालिग्राम भगवान की सेवा करती थी नंद बाबा भी सेवा करते थे इसीलिए आपके घर में शालिग्राम हैं तो उनकी रोज नियम से सेवा करनी चाहिए