प्राचीन काल की बात है, जब धरती पर धर्म और अधर्म के बीच एक बड़ी लड़ाई छिड़ी हुई थी। अयोध्या नगरी में राजा दशरथ की तीन रानियाँ थीं, लेकिन फिर भी उन्हें संतान सुख नहीं मिल रहा था। एक दिन, राजा दशरथ ने अपनी पत्नी कौशल्या के लिए यज्ञ करवाने का निर्णय लिया। यज्ञ के फलस्वरूप भगवान आगमन हुए और राजा को चार पुत्रों का वरदान मिला। इनमें से सबसे बड़े पुत्र का नाम राम रखा गया। राम का जन्म होते ही अयोध्या में खुशी की लहर दौड़ गई। राम के साथ-साथ उनके भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का भी जन्म हुआ।
राम और लक्ष्मण का बंधुत्व अद्वितीय था। राम का व्यक्तित्व सभी के लिए एक आदर्श था। जब राम युवा हुए, तो उनका विवाह माता सीता से हुआ। सीता, जनकपुर के राजा जनक की पुत्री थीं, जिन्हें धरती की देवी माना जाता था। राम और सीता का प्रेम एक दूसरे के प्रति अटूट था। एक दिन, जब रावण, लंका का राक्षस राजा, सीता का अपहरण कर ले गया, तो राम का दिल टूट गया। राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ मिलकर सीता को बचाने की ठानी। उन्होंने हनुमान का सहारा लिया, जो एक वानर थे और भगवान राम के भक्त थे। हनुमान ने अपनी शक्ति और साहस का परिचय देते हुए लंका पहुंचकर सीता को खोज निकाला। उन्होंने सीता को राम का संदेश दिया और विश्वास दिलाया कि राम उन्हें अवश्य बचाएंगे। राम ने अपनी सेना के साथ लंका पर आक्रमण किया। युद्ध भयंकर था।
रावण ने अपनी पूरी ताकत से राम का सामना किया, लेकिन राम का धर्म और सत्य का पक्ष मजबूत था। राम ने रावण को हराने के लिए उसके भाइयों का भी सामना किया। एक दिन, जब राम और रावण के बीच निर्णायक लड़ाई हुई, तो राम ने अपने धनुष से एक दिव्य बाण चलाया। वह बाण सीधे रावण के हृदय में लगा और रावण धरती पर गिर पड़ा। बुराई का अंत हो गया और धर्म की विजय हुई। राम ने सीता को पुनः प्राप्त किया और अयोध्या लौटे। उनकी वापसी पर अयोध्या में दीप जलाए गए और हर ओर खुशी का माहौल था। रामराज्य की स्थापना हुई, जिसमें सबको न्याय और प्रेम मिला। राम और सीता का प्रेम केवल एक दांपत्य जीवन तक सीमित नहीं था, बल्कि यह मानवता के लिए एक आदर्श बन गया।
इस प्रकार, रामायण की कथा हमें यह सिखाती है कि प्रेम और सत्य के मार्ग पर चलकर हम किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं। यह कहानी आज भी हमारे दिलों में जीवित है और हमें प्रेरित करती है।