कृष्ण लीला: गोपियों का रास


एक समय की बात है, जब ब्रज की धरती पर भगवान श्री कृष्ण का अवतार हुआ। उनकी मधुर बांसुरी की धुन सुनकर सभी जीव-जंतु और मनुष्य उनकी ओर आकर्षित होते थे। ब्रज में, गोपियाँ कृष्ण की दीवानी थीं। उनकी चेहरे की मुस्कान और आँखों में छिपा प्रेम हर किसी का दिल जीत लेता था। एक दिन, जब सावन की बारिश ने धरती को हरा-भरा कर दिया था, गोपियाँ अपने-अपने घरों से निकलकर यमुना के किनारे एकत्र हुईं। वहाँ पर कृष्ण अपनी बांसुरी बजा रहे थे, और उनके आसपास गहमा-गहमी थी। गोपियाँ उनकी मधुर धुन सुनकर मंत्रमुग्ध हो गईं। "कृष्ण, तुम तो हमारे जीवन का सबसे बड़ा सुख हो," एक गोपी ने कहा।

 

"जब तुम बांसुरी बजाते हो, तो ऐसा लगता है जैसे सारा संसार थम जाता है।" कृष्ण ने मुस्कुराते हुए कहा, "गोपियाँ, आपकी भक्ति और प्रेम ही मेरे लिए सबसे बड़ा उपहार है।" फिर उन्होंने बांसुरी बजाना शुरू किया, और यह धुन जैसे हर एक दिल में प्रेम की लहर दौड़ा देती। तभी कृष्ण ने एक खेल की योजना बनाई। उन्होंने गोपियों से कहा, "आओ, हम रास खेलते हैं। जो सबसे मधुर नृत्य करेगा, उसे मैं अपनी बांसुरी का एक विशेष गीत सुनाऊँगा।" गोपियों में खुशी की लहर दौड़ गई। उन्होंने अपनी साड़ी को ठीक किया और नृत्य करने लगीं। कृष्ण ने बांसुरी बजाना शुरू किया, और गोपियाँ उनके साथ ताली बजाते हुए नृत्य करने लगीं। उनकी हर एक हरकत में प्रेम और उल्लास था। राधा, जो सबसे सुंदर और प्रिय गोपी थीं, ने कृष्ण की ओर देखा। उनकी आँखों में प्रेम की चमक थी। कृष्ण ने राधा को अपने साथ नृत्य करने के लिए आमंत्रित किया।

 

जैसे-जैसे रास की धुन बढ़ी, वातावरण में एक जादुई महक फैलने लगी। सभी गोपियाँ कृष्ण के चारों ओर नृत्य करने लगीं। उनकी साड़ियों की लहराती हुई आकृतियाँ जैसे आकाश में तारे बिखेर रही थीं। कृष्ण ने जब राधा के साथ नृत्य किया, तो ऐसा लगा जैसे सृष्टि का हर एक जीव ताली बजा रहा हो। नृत्य की इस लीला में समय थम गया। यमुना का पानी भी मानो इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए रुक गया। गोपियाँ कृष्ण के साथ नृत्य करती रहीं, और कृष्ण ने अपने नृत्य के साथ-साथ उनकी भक्ति को भी सराहा। कुछ समय बाद, जब नृत्य समाप्त हुआ, तो गोपियाँ थकी हुई थीं, पर उनके चेहरे पर एक अद्भुत खुशी थी। कृष्ण ने उन्हें प्यार से देखा और कहा, "आपकी भक्ति और प्रेम ने इस रास को अद्भुत बना दिया। मैं हमेशा आपके साथ रहूँगा।" इस प्रकार, कृष्ण की लीला और गोपियों का रास एक अद्वितीय अनुभव बन गया।

 

इस प्रेम भरे क्षण ने सभी को एक नई ऊर्जा और प्रेम से भर दिया। ब्रज की धरती हमेशा के लिए कृष्ण के प्रेम और भक्ति की गूंज से गूंज उठी।