निर्जला एकादशी | Nirjala Ekadashi


निर्जला एकादशी को भीमशेनी एकादशी भी कहते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। निर्जला एकादशी  पूरेवर्ष होने वाली 24 एकादशी में से श्रेष्ठ मान जाति है एकादशी का पालन या व्रत रखना सबसे ही कठिन है क्योंकि निर्जला एकादशी के दिन भक्त जन सुबह सूर्य उदय से अगले दिन (द्वादशी)  सूर्य उदय होने तक पानी की एक बूंद भी ग्रहण नहीं करते बिल्कुल निर्जल रहते हैं, इसीलिये इसे निर्जला एकादशी कहते हैं।

निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान श्री शालिग्राम जी की सेवा की जाति है। भगवान विष्णु जी के सभी भक्त निर्जला एकादशी के दिन विशेष रूप से गंगा जी में ब्रह्म  मुहूर्त से शाम सूर्यस्त तक जल में रहकर अनुष्ठान करते हैं। निर्जला एकादशी के दिन किया हुआ भजन का फल दुगना मिलता है,इसीलिये भगवान विष्णु के सब भक्तजन इस दिन अधिक से अधिक पूजा अर्चना करते हैं। भगवान विष्णु के सहस्त्र नामो का अधिक से अधिक नाम जाप करते हैं और मान्यताओ व शास्त्रों के अनुसार जो वर्ष में एक बार भी एकादशी नहीं करता  वह भी अपनी दीर्घ आयु और मोक्ष प्राप्ति के लिए इस व्रत का पालन कर सकता है।