नंदगांव की लट्ठमार होली


नंदगांव की लठमार होली कुछ अलग ही तरह से खेली जाती है जिसमें एक अलग ही तरह का प्रेम देखा जाता है। होली बरसाने व नंद गांव में तो फागुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ही शुरू हो जाती है अष्टमी के दिन लड्डू होली, नवमी के दिन लठमार होली बरसाने की और दशमी के दिन नंदगांव की लठमार होली खेली जाती है।

 

पुरानी कथा के मुताबिक जब द्वापर में श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ बरसाना होली खेलने गए थे तब वह बरसाने से नेग दिए बिना नंद गांव आ गए थे। यही बात बरसाने में राधा रानी ने सब सखियों को एकत्रित करके बताया कि कन्हैया बिना होली का फगुआ दिए चले गए।

 

तब सभी सखियों ने मिलकर एकजुट होकर दशमी के दिन नंद गांव जाने का ठाना और नेग लाने की सोची वहां से तब सभी सखियां नंद गांव पहुंच गई गाती बजाती हुई जिसके कुछ पद आज भी प्रचलित है।

 

सब वादे मोहन मतवारे आदि आज भी नंद गांव में श्री कृष्ण और बलराम के सामने समाज गायन होता है उसमें नृत्य भी होता है सखियों द्वारा और सामा जी द्वारा भेजे गए आज्ञा के बाद आज भी नंद गांव में लठमार होली बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।