बरसाने की प्रसिद्ध लड्डू होली


ब्रज की होली तो पूरे जगत में प्रसिद्ध है पर इस होली की शुरुआत श्री बरसाना धाम से होती है। जो की मिठास और प्रेम के साथ मनाई जाती है। उन्हीं में से एक होली जिसका नाम लड्डू होली है। पुराणिक तौर से माना जाता है द्वापर युग में जब भगवान श्री कृष्ण और श्री राधा रानी धरा धाम पर लीला कर रहे थे तब श्री बरसाना धाम से राधा रानी के पिताजी वृषभानु बाबा द्वारा यह नंदगांव भेजा गया ठाकुर जी के पिताजी के पास जो नंदबाबा हैं।

 

नंद बाबा ने वृषभानु बाबा के निमंत्रण को स्वीकार किया फिर नंद बाबा ने अपने महल के पंडा जिसे पुरोहित भी कहते हैं उनके द्वारा वह स्वीकृति पत्र बरसाना भेजा बरसाना में वृषभानु जी ने नंद गांव से आए पुरोहित का खूब स्वागत किया और थाल में लड्डू खाने को दिए फिर उसके बाद बरसाने की गोपियों ने पंडो को गुलाल लगा दिया हंसी मजाक में फिर क्या था पंडो ने गोपियों को लड्डू से मारना शुरू कर दिया।

 

क्योंकि एक होली ऐसा त्यौहार है जिसमें रंग लगाकर हंसी ठिठोली कर यह त्योहार मनाया जाता है। यह लड्डू की परंपरा तभी द्वापर युग से चलती आ रही है जो हमें बरसाने में देखने को मिलती हैं। आज भी बरसाना महल में 40 से 50 मन के लड्डुओं की बौछार की जाती है लड्डू होली फागुन मास मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है।