महामृत्युंजय मंत्र जाप के नियम


ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

महामृत्युंजय मंत्र जीवन देने वाला है। शिवपुराण में उल्लेख किए गए इस मंत्र के जप से आदि शंकराचार्य को भी जीवन की प्राप्ती हुई थी। महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का सबसे बड़ा मंत्र माना जाता है इसलिए अगर इस मंत्र का जाप करते हैं तो ध्यान रखिए कुछ बातें। महामृत्युंजय मंत्र जाप करने से पहले अपना तन हमेशा शुद्ध रखना चाहिए और धोती धारण करनी चाहिए।

 

महामृत्युंजय मंत्र का जाप केवल और केवल रुद्राक्ष की माला पर ही करना चाहिए महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण ठीक ढंग से करना चाहिए अगर मंत्र का उच्चारण सही नहीं होता तो उस मंत्र का असर नहीं होता और प्रभाव भी अच्छा नहीं पड़ता। महामृत्युंजय मंत्र सदा भगवान की मूर्ति के सामने या शिवलिंग के सामने बैठकर आसन के ऊपर ही करना चाहिए।

 

महामृत्युंजय जाप करते समय देसी घी का दीपक या धूप दीप जलाना चाहिए जब तक मंत्र जाप करते हैं तब तक दीपक जलाना चाहिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप हमेशा पूर्व दिशा की ओर करना चाहिए। जब आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं तो प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए। मृत्युंजय मंत्र का जाप एक निश्चित संख्या में करना चाहिए रोजाना इसकी संख्या बढ़ा देनी चाहिए अपनी व्यवस्था के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र का दिन में एक समय बांध लेना चाहिए अगर आप अपना शरीर शुद्ध नहीं रखते हैं तो इसका प्रभाव उल्टा भी पड़ सकता है।