महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग - कालो के काल महाकाल


भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से 1 महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को महाकाल के नाम से भी जाना जाता ह। वैसे तो आमतौर पर सभी 12 ज्योतिर्लिंगों का मुख उत्तर की ओर है केवल भगवान महाकालेश्वर का मुंह दक्षिण की ओर है। दर्शन करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और मोक्ष प्राप्ति होती है। माना जाता है कि भगवान महाकालेश्वर के अभिषेक या पूजा अर्चना करने से कालसर्प दोष दूर होता है। वैसे तो पूरे भारत में शिवलिंग के कई रूपों की पूजा कई तरह से होती है केवल महाकालेश्वर की पूजा अघोरी रूप में की जाती है। इसीलिए भगवान महाकालेश्वर की रोज सुबह की पहली आरती ताजे मुर्दे की चिता की भस्म से की जाती है और उसी से ही भगवान महाकालेश्वर का श्रृंगार होता है साथ ही भगवान महाकालेश्वर को भोग लगाए जाते हैं जैसे भांग धतूरा आदि।

 

कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य के बाद इस घराने से कोई भी राजा रात को उज्जैन में नहीं रूका

 

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग बड़ा ही विशाल पर आकर्षित शिवलिंग है जो तीन भागों में विभाजित है निचले खंड में महाकालेश्वर मध्य खंड मतलब बीच में ओमकारेश्वर और तथा तीसरे खंड ऊपर खंड में नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है नागचंद्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन केवल और केवल साल में एक बार कराए जाते हैं जो नाग पंचमी के दिन ही कराए जाते हैं। उज्जैन नगरी में मुख्य ८४ शिव मंदिर ह।  

 

एक विशेष बात और महाकालेश्वर मंदिर में एक बहुत प्राचीन कुंड भी है महाकालेश्वर शिवलिंग के बारे में एक नहीं दो नहीं बल्कि 18 पुराणों में वर्णन किया गया है और काव्य पुस्तकों में भी जैसे कि महाभारत स्कंद पुराण मत्स्य पुराण शिव पुराण भागवत शिवलीलामृत कादंबरी राज तरंगिणी मेघदूत आदि पुस्तकों में अच्छे भाव में और सुंदर रूप से वर्णन किया गया है।

 

कालो के काल महाकाल। प्रचंड है। अखंड है। अलौकिक है। अद्भुत है। क्षम्य है। रक्षक है।

 

उज्जैन रेलवे स्टेशन से महाकालेश्वर मंदिर की दूरी सिर्फ 1.5Km की ह।