क्यों की जाती है भगवान महाकालेश्वर की भस्म आरती


क्यों की जाती है भगवान महाकालेश्वर की भस्म आरती - शिव पुराण में वर्णन है कि राजा दक्ष द्वारा किए गए भगवान शिव के घोर अपमान से क्रोधित होकर माता सती ने अपने आप को अग्नि में समर्पित कर दिया था। माता सती के अग्नि में कूदने के बाद भगवान शिव को क्रोध आ गया और उनका तीसरा नेत्र खुल गया। भगवान शिव माता सती के मृतक शरीर को लेकर गौर तांडव करने लगे भगवान शिव का यह रौद्र रूप देखकर सभी देवी देवता भयभीत हो गए जब भगवान विष्णु ने भगवान शंकर का यह रूप देखा तो वह भी चिंतित हो गए फिर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र की मदद से माता सती के शरीर को कई हिस्सों में कर दिया और वह इससे पृथ्वी पर कई अलग-अलग स्थानों पर गिर गए और पिंड बन गए जिनको आज मां के 54 शक्तिपीठों के नाम से जाना जाता है।

भगवान शिव के हाथों में से माता सती के सभी भाग पृथ्वी पर गिर गए भगवान शंकर के हाथों में मृतक शरीर की भस्म रह गई भगवान शिव को लगा अब सती उन्हें कभी नहीं मिल पाएगी इसलिए भगवान शिव ने उनकी राख को अपने शरीर पर लगा लिया इसीलिए आज भी महाकालेश्वर में सुबह की पहली आरती भगवान शिव की भस्म आरती से ही शुरू होती है वैसे तो इस भस्म आरती कि कई कथाएं हैं पर शिवपुराण में कुछ इस प्रकार ही इसका वर्णन किया गया है।