जाने आखिर क्यों प्रिय है बेलपत्र भगवान शिव को


पुराणों में वर्णन है जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था तब समुद्र मंथन के बाद उसमें से विष निकला तो भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया जिसके कारण उनका कंठ नीला पड़ गया इसीलिए भगवान शिव को नीलकंठ भी कहा जाता है।

विष के प्रभाव से भगवान शिव के सारे शरीर में जलन होने लगी आसपास का वातावरण गर्म हो गया तब सभी देवी देवताओं ने भगवान शिव को बेलपत्र खिलाया क्योंकि बेलपत्र विष के प्रभाव को कम करता है उसके साथ सभी देवी देवताओं ने भगवान शिव पर शीतल जल अर्पित किया बेलपत्र और जल के प्रभाव से शरीर की सारी गर्मी दूर हो गई तभी से आज तक शिव पूजन में बेलपत्र उपयोग में आता है।

 माना जाता है जैसे बिना तुलसी के भगवान शालिग्राम की पूजा नहीं मानी जाती इसी तरह बिना बेलपत्र के भगवान शिव की पूजा पूरी नहीं मानी जाती एक बेलपत्र को धोकर हम कितनी बार भी अर्पित कर सकते हैं क्योंकि यह शुभ माना जाता है। बेलपत्र में तीन पत्तियां होती हैं माना जाता है इन तीन पत्तियों में सृजन पालन व विनाश के देवता ब्रह्मा विष्णु महेश वास करते हैं और तीन पत्तियों में तत्व रज तम गुणों की मान्यता है बेलपत्र में तीन पत्तियां होने के कारण यह भगवान शिव की त्रिशूल व तीसरे नेत्र का प्रतीक भी माना जाता है।