होली का त्यौहार भी बुराई पर अच्छाई की विजय पाने पर मनाया जाता है


भारत में वैसे तो कई त्यौहार बड़ी धूमधाम से बनाए जाते हैं पर सभी त्योहारों में सबसे ज्यादा विशेषता होली और दिवाली की है। जैसे दिवाली के त्योहार को बुराई पर अच्छाई की विजय पाने पर मनाई जाती है वैसे ही होली भी बुराई पर अच्छाई की विजय पाने पर मनाई जाती है।

होली का त्यौहार 2 दिन मनाया जाता है जिस हम छोटी होली व् बड़ी होली (धुलंडी) कहते हैं। धुलंडी फागुन मास की पूर्णिमा के अगले दिन मनाई जाती है जिसे सब लोग अपने बड़ो या छोटों को गुलाल लगाकर पैर छूकर व गले लगा कर मनाते हैं।

क्योंकि धुलंडी से 1 दिन पहले फागुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन होता है जिसकी कई पौराणिक कथाएं हैं। जैसे प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कहानी ब्रज में पूतना का वध कामदेव का भस्म होना आदि। होली के दहन से ही पता चलता है कि प्रभु सदा सर्वदा अपने भक्तों के कारण हाजिर रहते हैं और बुराई पर अच्छाई की विजय प्राप्त कर आते हैं इसीलिए ही होली का त्यौहार को एक जीत के जश्न की तरह मनाया जाता है।