बसंत पंचमी के दिन प्रकट हुई है मां सरस्वती


माना जाता है कि इस पूरी सृष्टि की रचना श्री ब्रह्मा जी ने की है। जब ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना कर रहे थे तो वह अपनी रचना से संतुष्ट नहीं थे क्योंकि पृथ्वी पर सब शांत मौन जैसा छाया हुआ था। ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से आज्ञा ली भगवान विष्णु के आज्ञा करने पर ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का उस जल से पृथ्वी पर कंपन पैदा हो गई वृक्षों के बीच में से एक चार भुजा वाली सुंदर व सौम्य रूप वाली एक स्त्री प्रकट हुई।

 

जिनके एक हाथ में वीणा, एक हाथ वर मुद्रा, एक हाथ में पुस्तक और एक हाथ में माला। ब्रह्मा जी ने उन देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया जिससे सा की मधुर ध्वनि उत्पन्न हुई जिससे पशु पक्षियों को वाणी प्राप्त हुई जल की धारा चलने लगी पवन में सरसराहट होने लगी वृक्षों पर पुष्प खिल गए। तब ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर उन देवी को नाम दिया कि तुम वाणी प्रदान करने वाली देवी सरस्वती हो। माँ सरस्वती के सुंदर रूप का वर्णन ऋग्वेद में किया गया है माना जाता है कि सरस्वती का विस्तार रूप ही बसंत है।