बसंत पंचमी एक त्यौहार


बसंत उत्सव (बसंत पंचमी) माघ शुक्ल पंचमी पर मनाया जाता है। पूरे भारत में इसे लोग बसंत पंचमी कहते हैं वहीँ इस दिन को श्री पंचमी, ऋषि पंचमी, मदनोत्सव, वागेश्वरी जयंती भी कहते हैं। बसंत एक ऋतु है भारतीय हिंदू पंचांग में छह ऋतु बताई गई हैं बसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु और शीत ऋतु। सब ऋतु में से बसंत ऋतु की अधिक मान्यता है बसंत पंचमी के दिन बसंत ऋतु का शुभआरंभ होता है और शरद ऋतु की विदाई होती है। बसंत पंचमी के दिन बुद्धि प्रदान करने वाली मां सरस्वती की पूजा की जाती है और बसंत पंचमी को ही मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था।

 

ठाकुर जी के भक्त व वृंदावन के बृजवासी लोग बसंत पंचमी बड़े हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाते हैं क्योंकि बसंत पंचमी से ठाकुर जी के उत्सव की शुरुआत होती है।

 

शास्त्रीय संगीत में बसंत नाम से राग भी होती है जिसे बसंत राग कहते हैं खासकर यह राग बसंत ऋतु में ही गाई जाती हैं। बसंत पंचमी के दिन गृह प्रवेश, शादी विवाह, ऑफिस या दुकान का मुहूर्त व् सभी मंगल कार्य करने चाहिए क्योंकि बसंत पंचमी का दिन वास्तु शास्त्र के हिसाब से बहुत ही शुभ माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन सभी संगीतज्ञ माँ सरस्वती का पूजन करते हैं क्योंकि इन्हें संगीत की देवी भी कहा जाता है इसीलिए सभी संगीतकार अपने अपने साज जैसे तानपुरा, तबला, ढोलक आदि का पूजन करते हैं। बसंत पंचमी प्रकृति के लिए एक तोहफा मानी जाती है