एक समय की बात है, जब हिमालय की बर्फीली चोटियों पर एक साधक, जिसका नाम था अर्जुन, तपस्या कर रहा था। अर्जुन भगवान शिव का अनन्य भक्त था। वह हर दिन भगवान शिव का ध्यान करता और उनसे ज्ञान प्राप्त करने की कामना करता। उसे विश्वास था कि शिव की अनगिनत कहानियाँ उसके जीवन को सही दिशा देंगी।
एक दिन, अर्जुन ने निर्णय लिया कि वह हिमालय की गुफाओं में जाकर शिव की कहानियाँ सुनेगा। उसने अपनी तपस्या को जारी रखते हुए, शिव की आराधना करना शुरू किया। धीरे-धीरे, उसकी प्रार्थनाएँ सुनाई देने लगीं। एक रात, जब चाँद अपनी चाँदनी बिखेर रहा था, अर्जुन को एक दिव्य प्रकाश दिखाई दिया। यह प्रकाश धीरे-धीरे एक रूप में बदल गया। यह स्वयं भगवान शिव थे। शिव ने मुस्कुराते हुए कहा, "अर्जुन, तुमने मुझे पुकारा है। बताओ, मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ?" अर्जुन ने कहा, "हे महादेव, मैं आपकी कहानियों को सुनना चाहता हूँ। आपकी कहानियों में ज्ञान है, जो मुझे मार्गदर्शन कर सकता है।
" भगवान शिव ने कहा, "तो सुनो। मेरी पहली कहानी है 'गंगा का अवतरण'। जब धरती पर जल संकट था, तब माँ गंगा स्वर्ग से धरती पर आईं। भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में समेट लिया ताकि वे पृथ्वी पर धीरे-धीरे प्रवाहित हों। इस प्रकार, गंगा ने अपने दिव्य जल से धरती को सींचा और जीवन की नदियाँ बहाईं।" अर्जुन ने ध्यान से सुना और कहा, "हे भगवान, यह तो बहुत प्रेरणादायक कहानी है।" शिव ने फिर कहा, "अब मेरी दूसरी कहानी है 'शिव और सती' की। सती, दक्ष प्रजापति की पुत्री, ने शिव से विवाह किया। लेकिन दक्ष ने शिव का अपमान किया, जिससे सती दुखी होकर यज्ञ में आत्मदाह कर लिया। शिव ने सती की मृत्यु से दुखी होकर तांडव किया। इस तांडव से संसार में हाहाकार मच गया। अंततः सती ने पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया और शिव के साथ विवाह किया। यह कहानी हमें सिखाती है कि प्रेम और भक्ति से बड़ा कोई बल नहीं होता।
" अर्जुन ने कहा, "हे महादेव, आपकी कहानियाँ अद्भुत हैं। इनमें जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझाया गया है।" शिव मुस्कुराए और बोले, "और सुनो, मेरी तीसरी कहानी है 'नीलकंठ' की। जब देवताओं और दैत्यों ने समुद्र मंथन किया, तो विष निकला। विष से सभी के प्राण संकट में पड़ गए। तब मैंने उस विष को अपने कंठ में धारण किया, ताकि संसार को बचा सकूँ। यह दिखाता है कि सच्चे प्रेम और करुणा से हम किसी भी संकट का सामना कर सकते हैं।" अर्जुन ने कहा, "हे भगवान, मैं आपकी कहानियों से प्रेरित हुआ। मैं अपने जीवन में इन्हें अपनाऊँगा।" भगवान शिव ने कहा, "कभी भी अपने हृदय में भक्ति और प्रेम को मत छोड़ना। ये कहानियाँ तुम्हारे मार्गदर्शन के लिए हैं।" इस प्रकार, अर्जुन ने भगवान शिव से अनेक कहानियाँ सुनीं और उसके जीवन में एक नया उजाला आया। वह अपने गांव लौटकर उन कहानियों को लोगों के बीच साझा करने लगा, जिससे सबको शिव की भक्ति और ज्ञान की रोशनी मिली।