आस माता की कथा, कहानी, व्रत, पूजा विधि  (Aas Mata Ki Kahani, Vrat, Puja)

 

आस माता की कहानी, व्रत, पूजा और उद्यापन (Aas Mata Ki Kahani, Vrat, Puja, Udyapan) आस माता का व्रत (Aas Mata Ka Vrat)  हिन्दू कैलेंडर के अनुसार - फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर अष्टमी तिथि तक, किसी भी दिन रखा जा सकता है | आम तोर पर इसे चतुर्थि तिथि को करते है । लेकिन आप इस दिन यह व्रत किसी कारण के नहीं कर पाए तो, आप इसे किसी भी अन्य तिथि को कर सकते है | यह व्रत करने से आपकी सभी एचए पूरी होगी | आइए जानते हैं कि आस माता का व्रत कैसे करना चाहिए।

 

आस माता का व्रत कैसे करें?

 

आस माता के व्रत की पूजा विधि - यह व्रत फाल्गुन शुक्ल प्रतिपदा से अष्टमी तिथि के बीच किसी भी दिन अपनी सुविधानुसार रख सकते है । व्रत के दिन आप आस माता की कहानी (Aas Mata Ki Kahani)  सुननी चाहिए । उसके पश्चात आप  एक लकड़ी का पटला लें और उसमें पर एक जल का लोटा रख दे । उसी लोटे पर रोली से एक सातिया यानि स्वस्तिक बनायें। और अक्षत और पुष्प चढ़ाये । इसके पश्चात आप सीधे हाथ में गेहूं के सात दाने लेकर आस माता की कहानी (Aas Mata Ki Kahani) सुनें। बायना निकाले जिसमें सूजी का हलवा, सात पूरी और रुपये होने चाहिए । यह बायना आपको अपनी सास को देना चाहिए और उनके चरण स्पर्श करने चाहिए । इसके बाद आप अपना व्रत खोल कहते है | 

 

नोट :-

ऐसा माना जाता है कि यदि किसी के घर पुत्र का जन्म हो या उसकी शादी होने जा रही हो तो आस माता का उद्यापन करना चाहिए। इसमें सात जगह चार चार पूरी और हलवा रखना चाहिए | उसके उपर रुपये रखकर अपनी सास के पैर छूकर देना चाहिए।

 

आस माता की कथा, कहानी

 

आस माता की कहानी - एक आसलिया था । वह रोज जुआ खेला करता था और वह हारे या जीते पर ब्राह्मण को जिमाता था । एक दिन उसकी भाभियाँ बोली कि तुम तो हारते हो या जीतते हो, दोनों पर ब्राह्मण को  जिमाते हो | ऐसे कब तक चलेगा और ऐसा कहते हुए उसे घर से निकाल दिया । वह घर से निकलकर शहर में चला गया और आस माता की पूजा करने ठहर गया | तभी सारे शहर में खबर फैल गई कि एक जुऐ का बहुत अच्छा खिलाड़ी आया है | राजा भी जुए का शौकीन था, तो यह बात सुनकर राजा भी उससे राजा खेलने आया । राजा जुए में सारा राज पाट हार गया ।

 

और उसने राज्य पर कब्जा कर लिया, अब वह राजा बन गया और राज करने लगा । भाभियों के घर में अन्न की कमी पड़ गई, इसलिए वह उसे ढूंढने निकल गई और सब शहर पहुंच गए । वहाँ उन्होंने सुना कि एक आदमी जुए में राजा से जीत गया । तब वह उसे देखने के लिए गए । वहां उसकी माँ ने उससे कहा कि मेरा बेटा भी यहीं पर जुआ खेलता है । हमने उसको घर से निकाल दिया था । वह बोला माताजी मैं ही तुम्हारा बेटा हूं तुम्हारी करनी तुम्हारे साथ मेरी करनी मेरे साथ । उन लोगो ने अपने देश जाकर आस माता का उजमन करा दिया और सुख से राज्य पर राज करने लगा ।

 

हे आस माता जैसा आसलिया राजा को राजपाट दिया वैसा सबको देना |

 

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