एक आसलिया था । वह जुआ खेला करता था और वह हारे या जीते पर ब्राह्मण को जिमाता था । एक दिन उसकी भाभियाँ बोली कि तुम तो हारो या जीतो, दोनों पर ब्राह्मण जिमाते हो, ऐसे कब तक चलेगा और उसे घर से निकाल दिया । वह घर से निकलकर शहर में चला गया और आस माता की पूजा करने ठ गया । सारे शहर में खबर फैल गई कि एक जुऐ का बहुत अच्छा खिलाड़ी आया है तो यह सुनकर उससे राजा खेलने आया । राजा जुए में सारा राज पाट हार गया । अब वह राजा बन गया और राज करने लगा । भाभियों के घर में अन्न की कमी पड़ गई इसलिए वह उसे ढूंढने निकल गई और सब शहर पहुंच गए । वहाँ उन्होंने सुना कि एक आदमी जुए में राजा से जीत गया । तब वह उसे देखने के लिए गए । वहां उसकी माँ ने उससे कहा कि मेरा बेटा भी यहीं पर जुआ खेलता है । हमने उसको घर से निकाल दिया था । वह बोला माताजी मैं ही तुम्हारा बेटा हूं तुम्हारी करनी तुम्हारे साथ मेरी करनी मेरे साथ । उन लोगो ने अपने देश जाकर आस माता का उजमन करा दिया और सुख से राज्य करने लगा । हे आस माता जैसा आसलिया राजा को राजपाट दिया वैसा सबको देना|

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