कामाख्या का प्रसिद्ध अम्बुबाची मेला | Kamakhya Ambubachi Parv


योनि मात्र शरीराय कुंजवासिनि कामदा।
रजोस्वला महातेजा कामाक्षी ध्येताम सदा॥
शरणागतदिनार्त परित्राण परायणे ।
सर्वस्याति हरे देवि नारायणि नमोस्तु ते ।।

 

उत्तर भारत में जैसे कुंभ स्नान को महापर्व के रूप में मनाया जाता हैl उसी तरह मां भगवती के रजस्वला होने पर प्रसिद्ध शक्तिपीठ कामाख्या मंदिर में अंबुबाची पर्व को मनाया जाता हैl पौराणिक कथाओ व् ( कामाख्या तंत्र, राजेश्वरी कामाख्या रहस्य, 10 महाविद्या) आदि ग्रंथों के अनुसार माना जाता है इस पर्व के दौरान आदिशक्ति महामाया मां कामाख्या (भगवती) रजस्वाला होती हैं यानी तीन दिन के बाद मां की रजस्वला समाप्ति पर उनकी विशेष पूजा और साधना की जाती है।  जिस कारण 3 दिन तक गुवाहाटी स्थित माँ कामाख्या मंदिर के गर्भग्रह के कपाट बंद रहते हैं। इस दौरान मां भगवती के दर्शन करना निषेध माना जाता हैl चौथे दिन ब्रह्म मुहूर्त में माता को स्नान करवाकर श्रृंगार के बाद ही श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं।

 

अंबुबाची पर्व शास्त्रों के अनुसार सतयुग में 16 वर्ष में केवल एक बार आता हैl द्वापर में यह पर्व 12 वर्ष में एक बार आता हैl त्रेता युग में यह पर्व 7 वर्ष में एक बार आता हैl कलयुग में यह पर्व हर वर्ष आषाढ़ मास में आता हैl माना जाता है इन दिनों मां कामाख्या के गर्भ से निकलने वाला जल भी लाल वर्ण का हो जाता हैl महामाया मां भगवती के रजस्वला ना होने से पूर्व मां कामाख्या के मंदिर के गर्भग्रह में स्थित मां भगवती के स्वयंभू स्वरूप पर सफेद कपड़ा चढ़ाया जाता हैl जो बाद में माता के रज से लाल वर्ण का हो जाता हैl मंदिर के कपाट खुलने के बाद वह लाल कपड़ा (जिसे अंबुबाची वस्त्र कहते हैं।) पुजारियों द्वारा भक्तों को प्रसाद स्वरूप में वितरित किया जाता हैl अंबुवाची पर्व का सभी तांत्रिकों को पूरे वर्ष इंतजार रहता हैl क्योंकि इन 3 दिनों में वह अपने सभी ऊर्जाओं के साथ जप व् तप करते हैंl और सिद्धियां प्राप्त करते हैंl शक्तिपीठ कामाख्या अंबुवाची पर्व पर हिंदुस्तान से ही नहीं बल्कि देश के कोने कोने से हर साल तंत्र मंत्र की साधना करने वाले अंबुवाची मेले में आते हैं। यह मेला दुनियाभर में प्रसिद्ध है।

 

51 शक्तिपीठ में से एक है कामाख्या देवी शक्तिपीठ। मान्यता है कि जब सुदर्शन चक्र से कटकर देवी सती के अंग भूमि पर गिरे थे तब उनकी योनी भाग यहा आकर गिरा था। यही वजह ह कि इसे कामक्षेत्र, कामरूप यानी कामदेव का क्षेत्र भी कहा जाता है। इस मंदिर को तंत्र साधनाओं का प्रमुख स्थान माना जाता है।