भगवान जगन्नाथ की स्नान यात्रा | Bhagwan Jagannath ki Snan Yatra


जेष्ठ मास की पूर्णिमा को देव स्नान पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता हैl उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी में भगवान जगन्नाथ की द्वादश यात्राओं में से प्रथम दिन की यात्रा को स्नान यात्रा कहते हैं l क्योंकि इस दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलदेव जी और बहन सुभद्रा जी के संग साल में केवल 1 दिन ही स्नान करते हैंl स्नान यात्रा का दिन पूरी में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है और बहुत महत्वपूर्ण भी माना जाता है क्योंकि जगत प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा का उत्सव इसी दिन से शुरू होता हैl स्नान यात्रा के बिना भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा होना ही असंभव हैl

 

स्नान यात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ भैया बलदेव और बहन सुभद्रा जी को गर्भ ग्रह से बाहर सहस्त्रधारा स्नान कराने हेतु स्नान मंडप में लाए जाते हैंl भगवान का 108 कलशो से स्नान कराया जाता हैl जिसमें 35 कलशो से भगवान जगन्नाथ जी का स्नान कराया जाता है 22 कलशो से श्री सुभद्रा जी का स्नान कराया जाता हैl 33 कलशो से श्री बलदेव जी का स्नान कराया जाता हैl 18 कलशो से सुदर्शन जी का स्नान कराया जाता हैl भगवान जगन्नाथ जी के स्नान के लिए जल मंदिर परिसर में से उत्तर दिशा की ओर स्वर्ण एक कुएं में से गराबडू सेवकों द्वारा पूरे विधि-विधान व वैदिक मंत्रों के उच्चारण से स्नान मंडप में ढोल नगाड़े के साथ लाया जाता हैl कुएं के जल में कस्तूरी, गुलाब जल, कपूर आदि मिलाकर भगवान जगन्नाथ का स्नान कराया जाता हैl

 

इस स्नान को देखने के लिए देश-विदेश से बहुत अधिक संख्या में भक्तजन का सैलाब उमड़ता हैl क्योंकि साल में केवल एक बार ही भगवान जगन्नाथ अपने स्नान के दर्शन करा कर भक्तों को कृतार्थ करते हैंl वृंदावन में भी स्नान यात्रा बड़े धूमधाम से मनाई जाती हैl राधारमण जी के मंदिर में श्री राधा रमण लाल संध्या में भव्य फूल बंगले में जल की धारा के नीचे विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते हैं