भगवान् कृष्ण बोले--हे युधिष्ठिर ! श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम कामिका है। इसका महात्म्य लोक हितार्थ के लिए है।  एक समय देवर्षि नारद ने पितामह भीष्म से पूछा- उन्होंने इस पवित्र व्रत में भगवान् विष्णु एकादशी की पूजा कही थी। पृथ्वी दान, स्वर्ण दान, कन्या दान इत्यादि महादान के फल से विष्णु पूजा का फल अधिक है।

 

कामिका एकादशी के समान विष्णु पूजा का फल है जो फल मनुष्य को अध्यात्म विद्या से मिलता है उससे अधिक फल कामिका एकादशी देने वाली है। भगवान् विष्णु पर एक दल तुलसी का चढ़ाओ तो एक भार स्वर्ण और चार भार चाँदी दान करने का फल मिलेगा। बढ़िया वस्त्र अमूल्य आभूषण पर भगवान् इतने शीघ्र ही प्रसन्न नहीं होते जितना कि तुलसी दल चढ़ाने से प्रसन्न होते हैं ।

 

तुलसी के दर्शन मात्र से पाप भस्म हो जाते हैं, वृन्दा के स्पर्श मात्र से मनुष्य पवित्र हो जाता है। जो भगवत चरणों में तुलसी अर्पण करता है उसे अवश्य मुक्ति मिलती है । इस एकादशी महात्म्य को सुनने से मनुष्य यशस्वी होता है ।

 

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