एक ब्राह्मण पूजा पाठ करने जा रहा था । उसे रास्ते में शनिचर माहाराज मिले । ब्राह्मण योला शनि महाराज कहाँ जा रहे हो शनिश्वर बोला राजा के लगने जा रहा हूँ। ग्राह्मण वोला राजा के लगेगा तो सारी प्रजा दुःखी होगी इसलिए मेरे पूजा सीनियर बोला कितने साल का लग । ब्राह्मण बोला सात साल नहीं, पांच साल नही, डाई साल नहीं, रया साल नहीं, सवा पहर नगी ब्रिाह्मण नदी के किनारे जाकर बैठ गया और आसन बिछाकर पाठ करने लगा । नदीमें दो मतीरे यो जा रहे थे ।उसने निकालकर घोडा के नीचे रख लिये यह मतीरे राजा के लड़क के सिर बन गए । अब उसके पास शनि आया और बोला कि, ब्राह्मण राजा के लड़के के सिर काट कर रखे हैं तो ब्राह्मण ने कहा किसी से मत कहना मेरे का शनि की दशा लग रही है | शनि मे एक से कही, दो से कही, सारी नगरी में फल गई राजा योला ब्राह्मण] को सूली पर चढ़ा दो । सभी तैयारियां की गई इतनी देर में उसका सवा पहर पूरा हो गया । राजा के लड़के खेलते-खेलते अब रानी बोली महाराज ब्राह्मण को सूली पर चढ़ा दिया होगा जाकर देखे ी तो हमारा पाप से उतरेगा ।
राजा ने जाकर देखा तो ब्राह्मण को सूली पदानेही वाले । राजा ने पुछा ब्राह्मण यह सब क्या था ब्राह्मण बोला म तो कही नही जानता था । म तो पाठ करने जा रहा था रास्ते में शनिचर महाराज मले ।ं बोला महाराज कहाँ जा रहे हो वह बोला राजा को लगने जा रहा हूँ। मैं चोला -राजा के लगेगा तो सारी प्रजा दुखी होगी । इसलिए मेरे लग जा शनिचर बोा कितने साल का लगा मैंने कहा सवा पहर का अब सवा पहर में मेरे को ने ऐसे रंग लगाना है । राजा कहने लगा इसकी दशा कैसे उतरती है । तो भ्राह्मण ने कहा राजा सोने चांदी का दान, तांबे का दान लोहे का दान पीतल का दान करे। राजा ने कहा, साहूकार तो कर देगा गरीब कैसे करें । ब्राह्मण बोला - तेल ो पती, गड की डली डाकोत को दे दें । ात वार पीपल में जल चढ़ा दे और कह शनि देव का सोटा कभी ना आवे रोटा। शनिवार को घड़ी- घड़ी ले सतर वला टली, सात बार पीपल में जल चढ़ा दे तो सारी बला टल जायेगी।