एक माँ बेटे थे । गरीब थे । भादवे हमें ऋषि पंचमी आई । बेटा बोला "माँ मैं बहन से राखी बंधवाने जाता है ।" माँ बोली "हम गरीब है, बहन के घर क्या लेकर जायेगा ।" बेटा बोला"लकड़ी बेचने से जो पैसा आयेगा. लेकर जाऊंगा और रवाना हो बहन के यहाँ पहुंचा ।" उस समय बहन सूत कात रही थी । बहन ने देखा भाई आया है । पर सूत का तार बार-बार टूट रहा था । वो उसे जोड़ने में व्यस्त हो गई । भाई ने सोचा अमीर वहन के मन में मेरे लिये कोई प्रेम नहीं है । और वो वापस जाने लगा.। इतने में बहिन का तार जुड़ गया । तो बहन दौड़कर भाई के पास गई और बोली "भैया में तुम्हारा ही इन्तजार कर रही थी, सूत बार-बार टूट रहा था इसलिये मैं बोलो नहीं। भाई को पाटे पर बैठाया, राखी बांधी भाई ने बहन को भेंट दी ।" खुशी से बावली बहन पड़ोसन से पूछने गए कि कोई प्यारा मेहमान आये तो क्या रसोई बनानी चाहिये ।

 

पड़ोसन ने भी कह दिया कि घी में चावल बनाना और तेल का चौका देना। बहन खुशी में पागल थी, जैसा कहा वैसा कर दिया । दो घण्टे बीते भाई ने कहा बहन भूख लग रही है । बहन बोली "भैया, चावल बने नहीं और भाई को पड़ोसन वाली बात कही तो भाई बोला बहन, घी में चावल बनते है क्या ?" दूध ला और खीर बना । बहन ने खीर बनाई सब ने भोजन किया सुबह अंधेरे भाई को जाना था । तो बहन ने लड्डू बनाने के लिये गेहूं पीसे । लड्डू बनाके भाई के साथ बांध दिये । भाई रवाना हुआ उतने में ही बच्चे उठे और बोले हको भी लड्डू दो । बच्चों को देखने के लिये लड्डू तोड़ा तो उसमे स सांप के छोटे-छोटे टुकड़े निकले वो तुरन्त भाई के पछि दौड़ी ।

 

वह दूर पर भाई मिला तो आवाज दी । भाई सोचने लगा मइसके घर कुछ नहीं लाया फिर ये मेरे पीछे क्यों आई है? बहन के पास आते ही भाई ने पूछा "मैं तेरे घर से कछ नहीं लाया फिर तू भागती-भागती का आई ।" तो बहन बोली मैं तो तेरी जान बचाने आई हूँ । जो लड्डू तुझे दिये उसमे सांप पिस गया । इसलिये मैं तझे कहने आईहूँ | भाइ बोला बहन "मैं एक पेड़ पर पोटली टांक कर नीचे आराम कर रहा था, कोई चोर मेरे लड्डू ले गये ।" लड्डू चोर पीछे दूर संयोग से खड़े उनकी बाते सुन रहे थे । वह लड्डू खाने ही वाले बहन की बात सुनकर रुक गये और आकर बोले "तुमने हमारी जान बचाई आज से तुम हमारी भी धर्म बहिन हो । वहीं पर खड़ा करके उन लड्डुओं को दबा दिया और बहन भाई को ले वापस घर आई तीसरे दिन भाई को सीख देकर भेजा।" इसलिये भाई को राखी के दिन रात को नहीं रोकना चाहिये और जाते समय कुछ खाने को सामान नहीं बांधना चाहिये । खोटी की खरी, अधूरी
की पूरी ।

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