एक साहुकार था । उसके बच्चा नहीं था । एक दिन सवेरे वो बाहर गया, देखा एक किसान खेत में दाना डालने जा रहा था। साहुकार मिलते ही वो वापिस लौट गया और बोलता गया, आज तो शगन अच्छा नहीं हुआ । साहुकार ने सुना उसका मुंह उतर गया। उसकी पत्नी ने पूछा, आज क्या बात है ? साहूकार ने सारी बात बताई तो पत्नी बोली आज चिड़िया आई तो वे भी बोली, बच्चे नहीं है तो दाना कहां से मिलेगा कहकर उड़ गई । साहूकार को क्रोध आया । उसी दिन से वो सूरज भगवान की आराधना करने लगा । बारह वर्ष बीते । राणा दे जी ने सूरज भगवान से कहा भक्त पुकार आपने नहीं सुनी तो कोई नहीं मनायेगा । तो भगवान को दया आयी, प्रकट हुये और बोले साहूकार तेरे नसीब में बच्चा नहीं है पर मेरे आशीर्वाद से तुझे एक कन्या होगी। वो हंसेगी तो हीरे-मोती बिखरेंगे । उसने घर आकर पत्नी को भी बताया । नवें महीना एक कन्या ने उनके घर जन्म लिया। नायन नहलाने आती। वो हंसती मुस्कुराती तो हीरे मोती गिरते। उनको वो नायन लेके चली जाती । सवा महीना बीता साहकार की पत्नी नायन से बोली अब मैं नहला दूंगी । वो नहलाने लगी। बच्ची हंसे तो हीरे गिरे मुलके तो मोती गिरे । अब वो समझ गई कि नायन ने तो खूब हीरे मोती, इकट्ठे कर लिये । लड़की बड़ी हुई तो मां बाप ने सोचा घर में तो धन बहुत है । घर जमाई रख लेते हैं । एक गरीब लड़का ढूंढा । उसके साथ लड़की का व्याह कर दिया । माँ दिन उगते ही बेटी को उठाने जाती और उसका मुंह देखती तो लड़की का पति बोला- अपने बीच सुबह-सुबह माँ का क्या काम? तो लड़की वोली माँ का नियम है कि सुबह होते ही वो मेरा मुंह देखती है । दूसरे दिन वो सुबह उठा और उसका मुंह देखा तो उसके मुंह में से हीरे मोती बिखरे । वो समझ गया कि इसलिये सासू इसका मुंह पहले ही देख लेती है। थोड़ी देर बाद लड़की की माँ आई तो हीरे मोती नहीं मिले । माँ समझ गई कि जवाई को पता चल गया है । माँ के मन में कपट आया। उसने एक आदमी को जमाई को जान से खत्म करने भेज दिया । आदमी ने जमाई को मार दिया और उसका सिर सासू को लाके दे दिया । राणादे सूरज भगवान ने देखा कि हमारी दी हुई कन्या का पति मार दिया गया। राणादे सूरज भगवान मानव रूप धर कर भिक्षा मांगने गये और उस कन्या के पति का सिर ले आये । अंग जोड़कर अमृत का छोटा दिया । वो उठकर बैठा हुआ । घर गया तो बेटी ने पूछा पोष रविवार का मेरा नियम है दिन अस्त हुये बाद खाना नहीं खाने का। फिर आप इतनी देर से क्यो आये । वो बोला तेरी माँ ने मुझे मारने के लिये आदमी भेजा । और सारी कहानी बता दी । बेटी बोली हम अब यहां नही रहेंगे । जो माँ मेरा सुहाग छीन ले वो क्या काम की? बेटी अपने पति के साथ अपने घर में रहने लगी । उसके घर में सुख समृद्धि हो गयी और माँ के धीरे-धीरे दरिद्रता आ गई सूरज भगवान बेटी पर प्रसन्न हुये वेसे सब पर प्रसन्न रहना ।
खोटी की खरी, अधूरी की पूरी
 

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