एक साहूकार के बेटे की बहू थी । कार्तिक के महीने में सुबह दी उठकर गंगा जी नहाने जाती । वह पराये पुरुष का मुंह नहीं ती थी । राजा का लड़का भी गंगा जी नहाने जाता था। ााका लडका हता कि मैं सुबह नहाता है मेरे से पहले कोई भी नहीं नहाता। जब दिन कार्तिक के बीत गए तो उस दिन साहूकार के बेटे की बह नहा । कजा रही थी और राजा का बेटा आ रहा था। शोर सुनकर ल्दी से वह जाने लगी जिससे अपनी मोती की माला वहीं पर भृल गई । तब राजा के बेटे ने वह मोती की माला देखी तो देखकर कहा कि यह माला इतनी सुंदर है तो पहनने वाली कितनी सुंदर होगी? बाद में सारी नगरी में ढिंढोरा पिटवा दिया कि जिसकी यह माला है वह मेरे पास पांच रात आएगी तब मैं उसकी यह माला दे दूंगा ? और खुद वहां तोते का पिंजरा टांग कर बैठ गया । सुबह साहूकार की बहू आई तो पहली पैड़ी पर पांव रखा और बोली कि अगर मेरे में सत है तो इसे नंद आ जाए और उसे नींद आ गई और वह नहाकर चली गई । राजा का बेटा उठकर बैठ गया और तोते से पूछा कि क्या वह आई थी तो तोते ते कहा आई थी | वह कैसी थी ? तब तोता बोला कि आभा जैसी बिजली, गुलाब जैसा रंग । राजकुमार ने कहा कि आज तो मै अंगूली चीर कर लेट जाऊंगा। फिर मझे नींद नहीं आएगी। दूसरे दिन वह अंगुली चीर कर बैठ जब वह आई तो भगवान से प्रार्थना करने लगी । राजकुमार को नोट - गई और वह नहा कर चली गई। तब उसने उठकर तोते से पूछा तोते ने सारी बाते बता दी। तब राजकुमार बोला मैं आंखों में मिर्च डालक बनेगा । और रात को मिर्च डालकर बैठ गया । और वह आई और चले गई। राजकुमार ने तोते से पूछा कि आई थी तो उसने कहा आई थी। फिर उसने कहा आज तो बिना बिस्तर के बैठूंगा और वह रात को बिना बिस्तर के बैठ गया । जब वह नहाने आई तो फिर भगवान से वही बात कही तो राजकुमार को नींद आ गई । जब वह नहाकर जाने लगी तो आंख बंद करके चली गई । राजकुमार ने उठकर देखा तो वह नहाका चली गई तो वह बोला कि आज तो मैं आग की अंगीठी रख बेठूंगा जिसे नींद नहीं आएगी और वह अंगीठी रखकर बैठ गया । साहूकार की बह ने भगवान से कहा कि चार रात तो निकाल दी आज की रात और निकाल दो । भगवान ने उसका सत रखा और उसे नींद आ गई। जब वह नहाकर जाने लगी तो वह तोते से बोली कि पापी से कह देना कि तेरी पांच रात पूरी हो गई है इसलिए मेरी मोतियों की माला मेरे घर भेज देना । फिर राजा ने तोते से पूछा कि वह आई थी तो तोते ने कहा कि वह आई थी |और उसने अपनी माला मंगवाई है । तब राजकुमार ने सोचा कि वह तो सच्ची थी । उसका तो भगवान ने भी सत रख लिया । थोड़े दिन बाद राजकुमार के शरीर में कोढ़ निकल गया और वह पड़ने लगा तो राजा ने ब्राह्मण को बुलाकर पूछा कि मेरे बेटे का शरीर क्यों जल रहा है? तब ब्राह्मण ने कहा कि वह पतिव्रता स्त्री पर बुरी नजर रखता है इसलिए यह रोग लगा है । तब राजा ने पूछा कि अब कैसे ठीक होगा तब ब्राह्मण ने कहा कि उस साहूकार की बहू को धर्म की बहन बना ले और उसके नहाये हुए जल से नहाये तो उसका कोढ़ ठीक हो जाएगा। राजा उसकी माला लेकर घर गया और साहूकार से कहा कि यह माला आपकी बह की है और उसके नहाये हुए जल से मेरे बेटे को नहला दो । साहूकार ने कहा वह तो किसी पर पुरुष का मुंह भी नहीं देखती। इस नाली के नीचे राजकुमार को बैठा देना जब वह नहाएगी तो ऊपर से वह पानी आ जाएगा । बाद में राजकुमार बैठ गया और नहाया तो उसकी चंदन जैसी काया हो गई । हे पंच भीखू देवता जैसा साहूकार की बह का सत्त रखा
वैसा सबका रखना ।

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