युधिष्ठिर बोले - हे भगवान कृष्ण ! अब आप मुझे 26 एकादशियों के नाम, व्रत विधि बतलाइए तथा किस देवता का पूजन करना चाहिए, यह भी कहिए भगवान जी बोले - मार्ग शीर्ष नाम शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम मोक्षदा है। यथा नाम तथा गुण अर्थात मोक्ष देने वाला व्रत है, बारह मासों में मैं मार्ग शीर्ष को उत्तम मानता हूँ।

 

गीता में अर्जुन से कह चुका हूँ इससे कृष्ण पक्ष की एकादशी से प्रेम उत्पन्न होता है और शुक्ल पक्ष का व्रत मोक्ष दाता है। इस व्रत में दामोदर भगवान का पूजन करना चाहिए। आज व्रतधारियों को यजमान से मेरी उक्खन बन्ध लीला का श्रवण करना योग्य है। अब मोक्षदा एकादशी की पौराणिक कथा सुनता हूँ।

 

प्राचीन गोकुलनगर में वैखानस नाम का राजा धर्मात्मा और भक्त था, उसने रात्रि को स्वप्न में अपने पूज्य पिता को नरक भोगते हुए देखा प्रातः काल ज्योतिषी वेद पाठी ब्राह्मणों से पूछने लगा मेरे पिता का उद्धार कैसे होगा ? ब्राह्मण बोले - यहां समीप में पर्वत ऋषि का आश्रम है उसकी शरणागत से आपके पिता शीघ्र ही स्वर्ग को चले जायेंगे।

 

राजा पर्वत मुनि की शरण में गया, दण्डवत करके कहने लगा। मुझे रात्रि को स्वप्न में पिता का दर्शन हुआ वह बिचारे यमदूतों के हाथों से दण्ड पा रहे हैं, आप अपने योग बल से बतलाइए, उनकी मुक्ति किस साधन से शीघ्र होगी ? मुनि ने विचार कर कहा, और धर्म-कर्म सब देर से फल देने वाले हैं शीघ्र वरदाता तो केवल शंकर जी प्रसिद्ध हैं परन्तु उनको प्रसन्न करना भी कोई मौसी जी का भवन नहीं, देर अवश्य लग जाएगी और तेरे पिता की इतने तक मरम्मत हो जाएगी इस कारण सबसे सुगम और शीघ्र फलदाता मोक्षदा का व्रत है उसे विधि संयुक्त परिवार सहित करके पिता को संकल्प कर दो, निश्चय उसकी मुक्ति होगी राजा ने कुटुम्ब सहित मोक्षदा एकादशी का व्रत करके फल पिता के अर्पण कर दिया, उसके प्रभाव से वह स्वर्ग को चला गया, मोक्षदा एकादशी का महात्म्य जो सुनता है उसे वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।

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