चैत्र का महीना आया । होली के दूसरे दिन से जवारे बाके में
लड़कियाँ सोलह दिन गणगौर पूजती है व एकादशी से सात दिन क
करती है।
कहानी - सात लड़कियाँ थी । उनमें से एक लड़की गरीबी बाकी छ: धनवान घर से थी । छओं लड़कियों ने व्रत करने की ठानी
 और सातवीं लड़की को भी कहा । सातवीं लड़की ने व्रत करने से मना किया तो सभी लड़कियां उसके घर गई और उसकी मां से बेटी को व्रत करवाने की कहा । माँ ने कहा "देखो बेटा मेरे घर में खाने को कल नहीं है, मेरी बेटी व्रत कैसे करेगी ।" तब वे सारी सहेलियां बोली "देखो मां, एक-एक दिन ये हमारे घर खाना खायेगी तो ही इसके व्रत पूर्ण हो जायेगे ।" व्रत के लिये मना मत करो और वे सभी मानी नहीं तब माँ अपनी बेटी को व्रत करवाने को तैयार हो गई । बेटी एक-एक दिन सभी सहेलियों के घर खाना खाती ऐसे करके छ: दिन निकल गये । सातवें दिन सभी लड़कियां उसके पीछे पड़ गई कि कल हम सब तुम्हारे घर खाना खायेंगे । तू छः दिन हमारे यहां आई अब हम छओं तेरे घर आयेगे। लड़की बोली "मैंने पहले ही तुम्हे मना किया था । पर लड़कियां मानी
नहीं।" तब वो जिमाने को तैयार हुई और घर आकर अपनी मां से बोली  "मां कल सब लड़कियां अपने घर जीमने आयेगी ।" तब माँ ने कहा "बेटी, मैंने तुझे पहले ही कहा था कि उन लड़कियों की बात मत सुन, अपने घर में खाने को तो है ही नहीं ।" मां को गुस्सा आया वो अपनी लड़की को मारने लगी। लड़की रोती हुई जंगल में जाकर सो गई । उधर से ईसर पार्वती जी निकले । पार्वती जी ईसर जी से बोले "देखो महादेव जी कोई तो अपनी शरण में आके बैठी है ।" ईसरजी ने कहा - दुनिया में बहुत लोग है, किस-किस को देखें । पार्वती जी बोले - नहीं ईसरजी इसको तो आपको पूछना ही पड़ेगा, इसको नहीं पूछेगे तो दुनिया में अपने को कौन पूछेगा । ईसर पार्वती जी उस लड़की के पास आये । पार्वती जी ने पूछा- ब्राह्मण की बेटी, सो रही है या जाग रही है । किस चिन्ता में पड़ी है । लड़की बोली - "मेरे घर में खाने को नहीं है। मैंने गौर के व्रत किये । छः दिन छ: लड़कियों के घर गई, अब छओं लड़कियाँ मेरे घर जीमने आयेगी । मैं उनको क्या जिमाऊंगी इस चिन्ता में मैं पड़ी हूँ ।" ईसर पार्वती को उस पर दया आई । उन्होंने कहा, जा यहां के कंकर, पत्थर, कैर, सांगरिया इकट्ठी कर ले । घर के चारों कोनों में थोड़े- थोड़े डाल देना और थोड़े पालने में डाल देना । लड़की से जितना उठा उसने बटोर लिया और घर ले चली । पार्वती जी ने उसकी टोकरी के हाथ लगा दिया । उसने घर आकर जैसा पार्वती जी ने कहा वैसा ही किया और सो गई । सवेरे मां-बेटी से पूछने लगी "लड़कियों को क्या जिमायेंगे? बेटी कहने लगी मां कमरा खोलकर देख लो ।" मां ने कमरा खोला तो चकित रह गई, वहां हीरे मोती जगमग कर रहे है और पालने में कंवर खले रहा है । मां ने कहा बेटी ये सब तू कहां से लाई । बेटी बोली मां ईसर पार्वती जी ने मुझ पर कृपा करी भगवान मुझ पर प्रसन्न हुये है । मां उनमें से एक हीरा बाजार में लेकर गई । उसे बेचा और सारा सामान लाई, रसोई बनाई। सारी लड़कियां जीमने आई और देखा उस लड़की के घर में बहुत ठाट-बाट हो गया । चार बजे शाम तक लड़कियां घर नहीं गई तो उन लड़कियों की मांताओं को चिन्ता हो गई कि हमारी लड़कियां भूखी बैठी होगी तो वे थोड़ा-थोड़ा खाना लेकर उस लड़की के घर पहुंची। आगे वो सभी क्या देखती है कि लड़कियां आनन्द से खेल रही है । सभी लड़कियों की माताएं पूछने लगी कि लड़की तेरे घर में कल तक तो कुछ नहीं था। आज ये वैभव कहां से हो गया । तो लड़की ने कहा मेरे ऊपर तो ईसर गौर जी प्रसन्न हुये है और उसने सारी बात बता दी । ऐसा सुनकर उनमे से एक के मन में ईर्ष्या हुई और वो भी अपनी बेटी से बोली- तू भी खूंटी तान कर जंगल में चली जा, ईसर गणगौर अपने को भी धन दोगे तो बेटी बोली "मां भगवान भूखे को तृप्त करता है धाये को नहों। पर मां फिर नहीं मानी । आखिर बेटी को मानना पड़ा। वह
में जाकर खूंटी तान कर सो गई । ईसर जी उसके सपने में आये बोले "बेटी तू सो रही है या जाग रही है ।"बेटी बोली- चिन्ता में ? मैंने लड़कियों को जीमने बुलाया है । पर मेरे घर में कुछ नहीं है ।
मे ईसर जी ने कहा - सुबह उठकर बगीचे से कैर-सांगरिया ले जाना । उसी समय उठी बगीचे से कैर-सांगरिया ली और घर जाकर मां को दं मां को कहा लड़कियां जीमने आयेगी तो इन कैर सांगरियों को उबाल कर रख देना। लड़कियों को जीमने की बोला । लड़कियां कहने लगी तूने एक बार जिमा दिया अब क्या है ? वो मानी नहीं और सबको का आई । मां ने कैर-सांगरी उबाले। बेटी ने उक्कन खोला तो डर गई उसमें तो सांप, बिच्छू भरे पड़े है। वो घबरा कर ब्राह्मण की लड़की के पास गयी और बोली "तुम्हारे घर में धन हो गया मेरे घर में सांप, बिच्छ कैसे हो गये तो मांजी बोली भगवान भूखे तो तोता है, धाये को नहीं।" लड़की की सहेलो मांजी के पैर पड़ी तो मांजी बोली, मेरे पैर मत पकड़ ईसर गौरादे के पैर पकड़ । तो वो ईसर गौरादे के पास गई ईसरजी ने कहा तेरे धन में से आधा धन ब्राह्मण की बेटी को देवे तो में ये माया समेटेगा। वो घर आई । गालियाँ बोलती गई और धन देती गई तो भी उसके घर में एक सांप बिच्छू रह गया । वो वापस ईसर जीके पास गई । ईसर जी बोले तेरे पास अभी दो सूइयां बची है । उसमें से एक सूई उसे दे. दे तो ये सांप बिच्छु खत्म हो जायेगें उसमे ऐसा ही किया तो सर्वः शांति हो गई । हे पार्वती माता जैसे आपने ब्राह्मण की बेटी पर कृपा कर वैसे सब पर प्रसन्न रहना उसकी सहेली पर रूठे वैसे किसी पर मत रूठना

उद्यापन - छ: कुंवारी लड़कियां और एक विवाहिता स्त्री जिमानी
आठवां साठिया जिमाना । दाल चावल नहीं खाना चाहिये । आलू -
सब्जी, पूड़ी, खरबूजा, कैर, सांगरिया, कैरी, इमली आदि खाने चाहिए
मूंगफली, गन्ना, अंगूर, तरबूज, ककड़ी, दाल, चावल, सुपारी, पान -
खाना चाहिये।

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