एक वृक्ष पर दो पक्षी रहते थे | मादा पक्षी के बच्चे नहीं होते थे | जब वह चार चिड़िया में बैठती तब वे प्राय: उसको बन्ध्या कहेकर उससे घृणा करती | इससे चिड़िया अत्यंत दुखी रहती | एक दिन वह अपनी स्थिति पर विचार करते हुई नदी में पानी पीने गई |वहां स्त्रियां दशा रानी के गण्‍डे  ले रही थी| उन्होने आपस में कहा कि यहां कोई स्त्री या मनुष्य तो है नहीं, जिसको यह गण्‍डा दे देते, ना हो तो इस चिड़िया के गल में यह गण्‍डा बांध दो | यह नित्य इसी जगह आकर कथा सुन लिया करेगी | इसको पूजन की विधि भी बतला दी जाएगी तो पूजन के दिन यह पूजन भी कर लेगी | तदनुसार उन्होंने चिड़िया के गले में गण्‍डा  बांधकर उसे समझा दिया कि 9 दिन तक बराबर तू इसी जगह आकर कथा सुन लिया कर | दसवें दिन 21 गेहूं लाकर एक गेहूं तुम खुद चुन लेना |  चिड़िया  ने 9 दिन तक प्रेम पूर्वक कथा कहानी सुनी | दसवे दिन स्त्रियों की बताई विधि के अनुसार गण्‍डा पानी में डालकर पारणा किया | कुछ दिनों के बाद उस चिड़िया के बहुत बच्चे पैदा हुए | अन्य चिड़ियो को बड़ा आश्चर्य हुए और वे बोली कि इसके तो बच्चे होते ही नहीं थे, यह कैसे हुआ ? वह बोली जब मेरे बच्चे नहीं थे तब तुम लोग बन्ध्या कहकर दुत्‍कारती थी, अब जो दशारानी ने मुझको बच्चे दिए तो तुम क़ोसती हो | चिड़िया ने उससे पूछा तो उसने गण्‍डा लेने का हाल क्रमश: कह सुनाया और सबको पूजा की विधि बता दी | तब तो जंगल की सभी चिड़िया दशारानी का व्रत करने लगी|

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