अमर सुहाग की कहानी: एक ब्राह्मण के पांच बेटियां थी । पांचों शिवजी की पूजा करतो दिया खगातो और पांच दिन राक सुहाग की कहानी सुनतो । चारों बेटियों का दिया यहर। दक चता पर पांचवी का दिया जल्दी ही बुझ जाता । यटी घर आकर न से भी कहा नो माँ भोली कि बेटो तू उसमें घी ज्यादा ारना कर । थाई समय याद पांचों का विवाह कर दिया। यारों के घर यहुत धन था पर पांचवी बेटी का पति ोज कमाकर लाता रोज खाता फिर भी वो संतोपरखती । एक दिन पांचवी बेटी  का पति थोड़ी ही लकड़ियाँ जंगल से काटकर बेचने लाया तो उसने पूछा आज इतनी ही लड़कियां कैसे लाये हो? पति ने बोला आज मेरी तबियत ठीक नहीं है इस पर पांचवी बेटी ने कहा कोई बात नहीं। दूसरे दिन ठसका पति जंगल जाने लगा तो बेटी ने कहा मैं भी साथ चलूंगी । दोनों साथ जंगल को गये थोड़ी लकड़िया काटी और पति की तबीयत बिगड़ने लगी और बेहोश होकर गिर पड़ा। जंगल में दूर-दूर तक कोई नहीं दिखता अब वो उसे साथ लेवे तो वो उठे नहीं और छोड़ भी नहीं सकती। उसने गोद में पति का सिर रखकर सुलाया और विलाप करने लगी कि मैंने ऐसा क्या पाप किया जो मेरा पति उठता ही नहीं है । उसी समय उधर से शिव-पार्वतीजी पृथ्वी पर भ्रमण करते हुये आये ।

 

शिवजी पार्वती से बोले देखो इसके साथ कितना बुरा हुआ । पार्वती बोली, भोलेनाथ हमें उसकी मदद करनी चाहिये। उसके पास आ हाल-चाल पूछा तो उसने सब बात कह सुनाई। सब हाल जानकर शिवजी बोले इसे लेकर घर क्यूं नहीं जाती ये तो मर गया । तब बेटी बोली मैं तो कहीं नहीं जाऊँगी और रोने लगी तो शिवजी को दया आ गयी और बोले - तू वही है ना, जिसका दिया जल्दी बुझ जाता था उसने हाँ कहा तो शिवजी बोले तूने दिया तो लगाया पर कभी सुहाग की कहानी पूरी नही नी । बेटी शिवजी के पैर पकड़कर बोली मेरे पति को जीवित कर दो मैं आप जो कहेगें सब करूंगी । शिवजी ने अमृत के छीटें दिये और उसका पति अंगडाई लेता बैठ गया और बोला मुझे बहत नींद आई । पत्नी बोली ऐसी नींद दुश्मन को भी नहीं आवे चलो अपने घर चलो । मुझे सुहाग का उद्यापन करना है ।

 

उद्यापन में पाँच स्टील की कटोरिया, पांच चूड़े, मोली, सिन्दूर, विन्दी, काजल, ब्लाउज पीस श्रद्धानुसार सुहाग सामग्री व रूपये पाँचों कटोरे में रखकर मन्दिर या ब्राह्मणों को देवें । स्टील के कटोरे में सभी सुहाग सामग्री व रूपये ब्लाउज पीस महादेव के मन्दिर में चढ़ाये व एक स्टील के दीपक में बत्ती व घी डालकर महादेव के ज्योत जलावें बचे हुये वाकी 4 कटोर और सुहाग सामग्री बहिन बेटियों को या ब्राह्मणों को दे सकते हैं उसने घर आकर विधि विधान से उद्यापन किया । उसको सारी परेशानियां दूर हो गई. घर में ठाट-बाट हो गये और दोनों पति पत्नी सन्तान के साथ सुख पूर्वक रहने लगे।

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