धन्य-धन्य श्री यमुने, धन्य-धन्य श्री जमुने।
कलि के कल-मल हरनी, सर्व पाप दमने।।
रवि की आप सुता हो, केशव की पटरानी।
तुम्हरे यश को गावें, नारद शुक ज्ञानी।।
संध्या समय निरजन, जो कोई नित्य करे।
रोग शोक मिट जावे, दुःख जा दूर परे।।
कार्तिक सुदी को, कोई स्नान करे।
यम की त्रास न पावे, नित जो ध्यान धरे।।
यमुना जी की आरती, जो कोई नर गावै।
सुख-संपत्ति घर आवै, मनवांछित फल पावै।।