जय जय आरति शांति तमारी, तोरा चरण कमल में जाउ बलिहारी ।।1।।

विश्वसेन अचिराजी के नन्दा, शांतिनाथ मुख पुनम चन्दा ।।2।।

चालिस धनुष सोवनमय काया, मृगलंछन प्रभु चरण सुहाया ।।3।।

चक्रवर्ति प्रभु पांचमा सोहे, सोलमा जिनवर सुरनर मोहे ।।4।।

मंगल आरति तोहरी कीजे, जनम जनमनो लाहो लीजे ।।5।।

कर जोडी सेवक गुण गावे, सौ नरनारी अमर पद पावे ।।6।। जय जय………..