जय जय आरति माणिभद्र ईन्द्रा, बावन वीर शीर मुगट जडींद्रा ।

तपगच्छ अधिष्ठायक विख्याता अतिय विघन दुःख हरो विधाता ।

तुम सेवकनां संकट चुरो, मन वंछित सुख संपदा पूरो ।

खडग त्रिशूल डमरु गाजे, मृगदल अंकुश नाग विराजे ।

षट् भूजा गज वाहन सुन्दर, लोढी पोशाल संघ वृद्धि पुरन्दर ।

विनये श्री आणंद सुरिधीर,

आशा पूरा मगरवाडिया वीर,

आशा पूरा उज्जनीया वीर,

आशा पूरा आगलोडीया वीर ।