जय जय आरति गौतमदेवा,

सुरनर किन्नर करते सेवा…

पहेली आरति विघ्न को चूरे,

मनवांछित फल सघलो पूरे…

दूसरी आरति मंगलकारी,

विघ्न निवारी सुख दातारी…

तीसरी आरति करता भावे,

दुःख दोहग सवि दूर जावे…

चोथी आरति महाप्रभारी,

आशा पूरे देवो आवी…

पांचमी आरति पांच प्रकारी,

केवळज्ञान देवे जयकारी…

आत्मकमल में लबधिदाता,

गौतम आरति करे सुखशाता…