एक नल राजा था । उसके दमयंती नाम की रानी थी । एक दिन महल के नीचे एक बुढ़िया आई जो सांपदा माता का डोरा बांट रही थी
और कहानी सुना रही थी । वहाँ पर बहुत भीड़ हो रही थी। सब औरतें डोरा ले रही थी । रानी ने ऊपर से देखा और दासी से बोली - कि नीचे
देखकर आ किस चीज की भीड़ हो रही है ? तो वह देखकर आई और बोली कि एक बुढ़िया सांपदा का डोरा बांट रही है जिससे धन लक्ष्मी
होती है । वह डोरा कच्चे सूत की सोलह तार की सोलह गांठ देकर और हल्दी में रंग कर पूजा करके सोलह नये जौ के आखे हाथ में लेकर सांपदा
माता की कहानी सुनकर गले में बांधे। तब रानी ने भी डोरे की पूजा करके अपने हार में बांध लिया। जब राजा बाहर से आया तो डोरा देखकर बोला
कि रानी आज हार में क्या बांध रखा है ? तो रानी बोली कि सांपदा माता का डोरा बांध रखा है । इससे धन लक्ष्मी बढ़ती है । तो राजा बोला कि
अपने पास तो बहुत धन है और कहकर राजा ने डोरा फेंक दिया । उसी रात को स्वप्न में सांपदा माता बोली कि राजा मैं तो सांपदा हूँ । इसलिए
जा रही हूँ । तेरा धन कोयला हो जाएगा । सुबह उठकर जब राजा ने देखा तो सारा धन कोयला हो गया । तब राजा बोला कि रानी हम यहां
पर एक ब्राह्मणी की लड़की को छोड़ देंगे, जो रोज यहां पर दीया जला देगी, पानी भरेगी, घर में झाडू करेगी और घर में बैठी रहेगी और हम
दूसरे गाँव में जाकर रहेंगे । जब वह तालाब पर पहुंचे तो राजा ने वहां पर दो तीतर रानी को लाकर दिये और बोला तू इन्हें भून कर रख । मैं
अभी नहा कर आता है । रानी ने तीतर भन लिए तब दोनों खाने बैठे तो तीतर उड़ गये । तो राजा रानी अपनी बहन के यहां पहुँचे। बहन ने
उन्हें पुराने घर में ठहरा दिया । राजा रानी बहन के घर में गये तो वहां बहन के सोने का बछड़ा-बछड़ी पड़ा था । वह जमीन खा गई । तो राजा
रानी से बोला यहां से चलो नहीं तो अपने सिर चोरी लग जायेगी और वहां से दोनों चले गये । वहां से राजा के दोस्त के गए तो उन्हें पुराने
महल में ठहरा दिया । वहां पर गए तो वहां सवा करोड़ का हार खूटी पर टंगा हुआ था । वहां पर मोर बना था। वह हार निगल गया । तब
राजा रानी बोली कि यहां से भी चलो नहीं तो अपने सिर हार की चोरी लग जाऐगी । तो रानी बोली किसी के घर जाने की बजाय जंगल में लकड़ी
काट बेचकर हम अपना पेट भर लेंगे । वह एक सूखे बगीचे में पहुंचे तो बाग हरा हो गया । बाग का मालिक बहुत खुश हुआ । उसने देखा
वहां स्त्री-पुरुष सो रहे हैं। उन्हें जगाकर बाग के मालिक ने पूछा तुम कौन हो जो बारह वर्ष का सूखा बाग हरा हो गया ? तो राजा-रानी ने
कहा हम मुसाफिर हैं, काम की खोज में आये हैं और वे वहां पर नौकरी करने लगे । मालिन रानी से बोली की तू सिर्फ फूल की माला बाजार
में बेच आया कर । एक दिन बाग की मालिन कथा सुन रही थी और डोरा ले रही थी । रानी ने पूछने पर बताया कि यह सांपदा का डोरा है। ने कथा सुनी और डोरा लिया । राजा ने अपनी पत्नी से पला यह डोरा किसका बांधा है ? तो रानी बोली कि यह वही डोरा है । आपने एक बार तोड़कर फैंक दिया था । उसी कारण सांपदा देवी
पर नाराज हैं। रानी बोली यदि सांपदा माता सच्ची हैं तो फिर हमारे पर जैसे दिन लौट आयेंगे ।
 
उसी रात राजा को पहले की तरह स्वप्न में आयी एक स्त्री कह
रही थी मैं जा रही हूँ । दूसरी कह रही थी कि मैं वापस आ रही
हूँ । राजा ने दोनों के नाम पूछे तो आने वाली ने अपना नाम लक्ष्मी बताया
और जाने वाली बोली कि मैं दरिद्रता हूँ तो राजा ने पूछा कि मुझे पता
कैसे चलेगा । तब सांपदा बोली कि जब सुबह कुएं से जल भरने जाएगा
तो पहली बार जो निकलेंगे, दूसरी बार में हल्दी का गांठ्या, तीसरी बार
में कच्चा सूत निकलेगा । सांपदा माता ने उन्हें खूब सारा धन दिया ।
फिर राजा रानी बोले कि अब हमारे बारह वर्ष पूरे हो गए और अच्छे
दिन आ गये हैं इसलिए हम अपने घर जा रहे हैं । तब मालिन ने उन्हें
बहुत सा धन दिया । वहां से वह अपने दोस्त के यहां पहुंचे । तो दोस्त
राजा ने उन्हें अपने नए महल में ठहराया फिर राजा बोला कि हमें वहीं
पर ठहरा दो जहां पहले ठहराया था। वहां जाकर देखा कि तो जो हार
मोर निगल गया था वह हार खूटी पर टंगा हुआ था और उनका कलंक
उतर गया । वहां से वह बहन के गए तो बहन ने उन्हें नए महल में
ठहराने के लिए कहा । तब राजा-रानी बोले हमें तो वहीं ठहरा दो जहां
पहले ठहराया था । जब वहां पर गए तो जो धरती बछड़ा-बछड़ी निगल
गई थी वह दे गई तो राजा रानी से बोला कि अब हमारे दिन अच्छे आ
गए हैं । वहां से राजा रानी सरोवर के किनारे पहुँचे जो दोनों तीतर पड़े
हैं । वे समझ गए कि ये वही तीतर है जो उड़ गए थे । वहां से राजा
रानी अपने महल की तरफ चले गए तो देखा कि जो दरवाजा टेढ़ा हो
गया था वह ठीक हो गया है, सोने की झारी आ गई, दातन हरी हो गई,
जो ब्राह्मण की बेटी दीपक चलाने के लिए छोड़ गये थे उसको उन्होंने अपनी धर्म बेटी बना लिया उसको बहुत सारा धन देकर उसका विवाह
कर दिया और रानी ने सांपदा माता का उजमन किया । सोलह ब्राह्मणी
जिमाई, सोलह चीजें दी, हलवे पूड़ी की रसोई बनाई । हे सांपदा माता
जैसा पहले राजा से रूठी वैसे किसी से मत रूठना । राजा को वापस
वैभव दिया वैसा सबको देना । बाद में बिन्दायक जी की कहानी कहे।

 

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