विधि - सर्वसुख, राजसम्मान तथा पुत्र प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत करना शुभ है । इस २१ सप्ताह लगातार करना चाहिए । लाल पुष्प, लाल चन्दन, लाल फल अथवा लाल मिष्ठान से हनुमान जी का भजन करें । लाल वस्त्र धारण करें । कथा पढ़ने-सुनने के बाद, हनुमान चालीसा, हनुमानाष्टक तथा बजरंग बाण का पाठ करने से शीघ्र फल प्राप्त होता है ।

 

कथा - एक ब्राह्मण दम्पत्ति के कोई संतान न थी, जिस कारण पति-पत्नी दोनों दुखी थे । एक समय वह ब्राह्मण हनुमान जी की पूजा हेतु वन में चला गया । वहाँ वह पूजा के साथ महावीर से एक पुत्र की कामना किया करता । घर पर उसकी पत्नी भी पुत्र प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत किया करती थी । मंगल के दिन व्रत के अन्त में भोजन बनाकर हनुमान जी को भोग लगाने के बाद स्वयं भोजन ग्रहण करती थी । एक बार कोई व्रत पर आ गया जिसके कारण ब्राह्मणी भोजन न बना सकी, और हनुमान जी का भोग भी नहीं लगा । वह अपने मन में ऐसा प्रण करके सो गई कि अब अगले मंगलवार को हनुमान जी को भोग लगाकर ही अन्न ग्रहण करूँगी । वह भूखी-प्यासी छ: दिन पड़ी रही । मंगलवार के दिन उसे मूर्छा आ गई । हनुमान जी उसकी लगन और निष्ठा को देखकर प्रसन्न हो गए । उन्होंने उसे दर्शन दिए और कहा - "मैं तुमसे अति प्रसन्न हूँ। मैं तुम्हें एक सुन्दर बालक देता हूँ, जो तेरी बहुत सेवा किया करेगा ।" हनुमान जी मंगल को बाल रूप में उसको दर्शन देकर अंतर्ध्यान हो गए। सुन्दर बालक पाकर ब्राह्मणी अति प्रसन्न हुई । ब्राह्मणी ने बालक का नाम मंगल रखा । कुछ समय पश्चात् ब्राह्मण वन से लौटकर आया। एक प्रसन्नता सुन्दर बालक को घर में क्रीड़ा करते देखकर, ब्राह्मण अपनी पत्नी से पूछा - "यह बालक कौन है" पत्नी से कहा "मंगलवार के व्रत से प्रसन्न हो हनुमान जी ने दर्शन देकर मुझे यह बालक दिया है ।" ब्राह्मण को पत्नी की बात पर विश्वास नहीं हुआ। उसने सोचा यह कुल्टा, व्यभिचारिणी अपनी कलुषता छिपाने के लिए बात बना रही है । एक दिन ब्राह्मण कुएँ पर पानी भरने गया तो ब्राह्मणी ने कहा कि मंगल को भी अपने साथ ले जाओ । ब्राह्मण मंगल को साथ ले गया परंतु वह उस बालक को नाजायज मानता था इसलिए उसे कुए में डालकर पानी भरकर घर वापस आ गया । ब्राह्मणी ने ब्राह्मण से पूछा कि मंगल कहाँ है । तभी मंगल मुस्कराता हुआ घर वापस आ गया । उसे वापस आया देख ब्राह्मण आश्चर्यचकित हुआ । रात्रि में उस ब्राह्मण से हनुमान जी ने स्वप्न में कहा - "यह बालक मैंने दिया है तुम पत्नी को कुल्टा क्यो कहते हो ?" ब्राह्मण यह सत्य जानकर हर्षित हुआ । इसके बाद यह ब्राह्मण दम्पत्ति मंगल का व्रत रख अपना जीवन आनन्दपूर्वक व्यतीत करने लगे। जो मनुष्य मंगलवार व्रत कथा को पढ़ता है या सुनता है और नियम से व्रत रखता है हनुमान जी की कृपा से सब कष्ट दूर होकर उसे सर्व सुख प्राप्त होते हैं ।

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